________________ यह वर्णन हमें यह निष्कर्ष देता है कि भगवान महावीर का दर्शन वैयक्तिक और समष्टिगत अर्थशास्त्र को वृत्ताकार जोड़ देता है। इससे हम मानव और सृष्टि के पारस्परिक चिरसम्बन्ध की व्याख्या के साथ बेहतर समाज-व्यवस्था और अर्थव्यवस्था को कई आयामों से नियमित करने में सक्षम बनते हैं। कर्मवाद' में कहा गया है - 'विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था कर्मवाद की सबसे अनुकूल व्यवस्था है, जहाँ कर्मवाद के सिद्धान्त की सुरक्षा होती है और कर्मवाद के द्वारा जो एक मर्म सिखाया जाता है कि बहुत परिग्रह न करें, यह सिद्धान्त भी फलित होता है। साथ ही सामाजिक विषमता का समाधान भी मिलता है।' (261)