________________ 16 चूजे जितनी जमीन पर उत्पादित चावल से 75 आदमियों का पेट भरना संभव है, उतनी जमीन पर उत्पादित गोमांस से सिर्फ एक आदमी का पेट भर पाता है। शाकाहार यानि अन्न-बचत यह तथ्य भी बहुत कम लोग जानते हैं कि मांस-उत्पादन अन्न-उत्पादन की तुलना में अत्यन्त महंगा है। इस सम्बन्ध में यहाँ आँकड़ें दिये जा रहे हैं। एक पौण्ड मांस-उत्पादन पर अनाज की खपत निम्नानुसार है - मांस पौण्ड गोमांस शूकर-मांस 06 टर्की 04 . 03 अण्डे डॉ. नेमीचन्द बताते हैं कि एक पौण्ड मांस पैदा करने के लिए 26 पौण्ड अनाज खर्च होता है। इस प्रकार एक मांसाहारी की खुराक बचाकर कम-से-कम 20 शाकाहारियों का पेट आसानी से भरा जा सकता है। यदि सिर्फ अमेरिका अपने मांसाहार में 10 प्रतिशत की कमी कर ले तो छ: करोड़ लोगों का पेट आसानी से भरा जा सकता है। मेनका गांधी का कहना है यदि भारत मांस की खपत 20 प्रतिशत घटा दें, तो 6 करोड़ टन अनाज बचेगा, जो 30 करोड़ लोगों का पेट भरने के लिए पर्याप्त होगा। दुनिया के अर्थशास्त्री यह स्वीकारने लगे हैं कि संसाधनों की बचत और धरती की खुशहाली के लिए शाकाहार वरदान साबित हो सकता है। शाकाहार के प्रसार से आर्थिक और पर्यावरणीय क्षति को रोका जा सकता है। अर्थशास्त्री डॉ. भरत झुनझुनवाला के अनुसार अमरीका सौ एकड़ भूमि में मक्का उगाता है और उसे गाय को खिलाता है। फिर गाय को मारकर उसके मांस को दस मनुष्यों को खिलाता है। हम उसी सौ एकड़ भूमि में चावल, गेहूँ आदि उगाते हैं तथा सौ मनुष्यों का पेट भरते हैं। भूसा गाय को खिलाया जाता है और उसके दूध को मनुष्य पीते हैं। विश्व के समक्ष विकल्प यह है कि वह दस मांसभक्षी मनुष्यों को पालें या सौ शाकाहारियों को। बेशक, सौ शाकाहारी ही उत्तम होंगे। आर्थिक उत्पादन भी सौ मनुष्यों से अधिक हो सकेगा, चूंकि दो सौ हाथों से उत्पादन हो सकेगा।" जानवरों से हासिल प्रोटीन वाला खाना (मांस, मछली, अण्डे आदि) (285)