________________ 60. योगशास्त्र 3/109, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र 9/3/344 61. उपासकदशांग टीका पृ. 40, योग शास्त्र 3/108, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र 9/3/344 योगशास्त्र 3/110, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र 9/3/345 उपासकदशांग टीका प. 40, योग शास्त्र 3/111, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र 9/3/346 योगशास्त्र 3/111, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र 9/3/346 65. योगशास्त्र 3/112, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र 9/3/347 66. जैन, सागरमल (डॉ.) जैन, बौद्ध तथा गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, भाग 2, पृ.-289। प्रो. प्रेमसुमन जैन के आलेख भ. बुद्ध की शिक्षाओं का सामाजिक सरोकार' के अनुसार दीघनिकाय (द्वितीय भाग) में भी इन व्यापारों का निषेध है। 67. उपासकदशांग (1/43) और आवश्यक सूत्र रत्नकरण्डश्रावकाचार (75), कार्तिकेयानुप्रेक्षा (43 से 47), सर्वार्थसिद्धि (7/21) आदि में इन चार के अतिरिक्त दुःश्रुति का उल्लेख भी है। 68. उवासगदसाओ 1/48 69. आवश्यक सूत्र - नौवाँ व्रत। रत्नकरण्डश्रावकाचार (97) में कहा गया कि सामायिक तीन करण तीन योग से की जानी चाहिये। 70. अमर मुनि, उपाध्याय, सामायिकसूत्र एवं अन्य सामायिकसूत्र की पुस्तकें। 71. उवासगदसाओ 1/53, तत्वार्थ सूत्र 7/28 72. जैन, सागरमल (डॉ.) जैन, बौद्ध तथा गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, भाग 2, पृ.-294 73. योगशास्त्र 5/115-116, आवश्यक मलयगिरी टीका 4/43 74. आवश्यक सूत्र - दसवाँ व्रत। 75. आत्मारामजी, आचार्य, उपासकदशांग टीका, पृ. 80 (210)