________________ सन्दर्भ 1. नेमीचन्द (डॉ.), शाकाहार : मानव सभ्यता की सुबह, पृ. 61 2. ठाणांग 5/71, विस्तार के लिए देखें उपाध्याय अमर मुनि की पुस्तक 'अहिंसा दर्शन' के 24, 25 व 26वें अध्याय। 3. उपासकदशांग 1/28 4. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति 2/22 बहत्कल्पभाष्य 4.3647 6. वही 1.297, 338 एवं 4.489 बहत्कल्पभाष्य 2.1089, 1092 8. कौटिलीय अर्थशास्त्र 2/1/19 9. बहत्कल्पभाष्य 2.1098 10. आदि पुराण 16/167 11.. जैन, जगदीशचन्द्र (डॉ.), जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ.-116 12. जैन, दिनेन्द्र चन्द्र (डॉ.), इकोनोमिक लाइफ इन एंशेंट इंडिया एज़ डेपिक्टेड इन जैन कैनोनिकल लिटरेचर, पृ.-14 13. कल्पसूत्र 122 जैन, जगदीशचन्द्र (डॉ.), जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ.-121 बहत्कल्पभाष्य 2.1156 16. व्यवहार भाष्य 7/443 17. उत्तराध्ययन चूर्णि गाथा-118 18. आचारांग सूत्र 2/10/300-301 19. पाणिनी, अष्टाध्यायी 4/2/49 20. ज्ञाताधर्मकथांग 8वाँ अध्ययन (101)