________________ क्रुद्ध होकर गधे ने उन बर्तनों को फोड़ दिया।" इन पशुओं के दूध में औषधीय गुण होने से उसका विभिन्न रोगों में विभिन्न रूपों में उपयोग किया जाता था। मृत पशु की उपयोगिता ___ मरने के बाद भी पशु का एक-एक अंग काम आता था। चमड़ा, हड्डी, सींग, खुर आदि का उपयोग होता था। समाज का एक पूरा तबका मृत पशुओं के अंगों के व्यापार पर जीवित था। इनके आर्थिक महत्व के बारे में अन्यत्र विचार किया गया है। पशु जीवित तो उपयोग होता ही है, मरने के बाद भी उपयोगी होता है। हाथी के बारे में लोकोक्ति है - जीवित लाख का और मरने पर सवा लाख का। पशुपालन के अलावा जैन ग्रन्थों में प्रसंग वश कुक्कुट पालन और मत्स्यपालन के उल्लेख भी प्राप्त होते हैं। निशीथ चूर्णि और विपाक-सूत्र में मांसाहार और जीविका की दृष्टि से कुक्कुट मत्स्यपालन को अप्रशस्त, निन्द्य और निम्न कोटि का बताया गया है। . कृषि और पशुपालन दोनों अन्योन्याश्रित हैं। पशु कृषि में सहयोग करते हैं और कृषि से पशुओं की आवश्यकताएँ आसानी से जुटाई जा सकती हैं। ये दोनों धन्धे प्राचीनकाल से भारतीय अर्थव्यवस्था ही नहीं अपितु सम्पूर्ण जन-जीवन का आधार बने हुए हैं। दूध, कृषि और यातायात के अलावा पशु-पालन से पर्यावरण व पारिस्थितिकी सन्तुलन, जमीन की उर्वरा-शक्ति और जैव-विविधता का संरक्षण भी सहज रूप से होता है। (107)