________________ इससे ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था सुदृढ़ होगी, शहरीकरण पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। देश के समग्र विकास में ऐसी छोटी प्रतीत होने वाली बातों का बड़ा योगदान होता है। 11. पौषधोपवास व्रत सांसारिक और व्यावसायिक कार्यों से दिवस भर की विश्रान्ति के लिए पौषध व्रत की आराधना उपवासके साथ की जाती है। यह जैन आध्यात्मिक साधना का विशिष्ट प्रकार है। इस व्रत की अवधि में साधक निम्न चीजों का त्याग करता है - 1- चारों प्रकार के आहार का त्याग। चारों प्रकार के आहार में सभी प्रकार की खाने-पीने की चीजें आ जाती हैं। तीन प्रकार के आहार में पानी को छोड़कर सभी खाने-पीने की चीजें आती है। 2. काम-भोग का त्याग। 3. स्वर्ण-रजत, मणि-मुक्ता, आभूषण और बहुमूल्य वस्तुओं का त्याग। इस ___त्याग से जैन गृहस्थ की सम्पन्नता का पता चलता है। 4. शृंगार-वस्तुओं - माला, गंध आदि का त्याग। 5. हिंसक उपकरणों तथा दोषपूर्ण चीजों का त्याग। जो व्यक्ति एक दिन के लिए भी इन चीजों का त्याग करता है, वह त्याग की दिशा में आगे बढ़ता है। ऐसी आराधनाओं से समाज में निर्लोभता, त्याग, शुचिता आदि प्रशस्तताओं को बढ़ावा मिलता है। पौषधोपवास व्रत के निम्न पाँच अतिचार हैं - 1. व्रत के दौरान शय्या-संस्तारक आदि बिना देखे-भाले उपयोग करना। 2. शय्या-संस्तारक आदि का विधिपूर्वक प्रमार्जन नहीं करना या अच्छी तरह से नहीं करना। 3. बिना देखी-भाली या अनुपयुक्त भूमि पर लघु-शंका व दीर्घ-शंका निवारण करना। 4. अप्रमार्जित या दुष्प्रमार्जित भूमि पर लघु-शंका व दीर्घ-शंका निवारण करना। 5. पौषध व्रत का सम्यक् प्रकार से पालन नहीं करना। (204)