________________ 13. मेहावृष्टि 45. कथा कथन 14. फलावृष्टि 46. पुष्प ग्रन्थन 15. आराम रोपण 47. वक्रोन्ति 16. आकार गोपन 48. काव्य-शक्ति 17. धर्मविचार 49. स्फारविधि वेष 18. शकुनसार 50. सर्वभाषा विशेष 19. क्रिया कल्प 51. अभिधान ज्ञान 20. संस्कृत जल्प 52. भूषण परिधान 21. प्रासाद नीति 53. भृत्योपचार 22. धर्म नीति . 54. गृहाचार 23. वर्णिका वृद्धि 55. व्याकरण 24. सुवर्ण सिद्धि 56. पर-निराकरण 25. सुरभि तेलकरण 57. रन्धन 26. लीला संचरण 58. केश बन्धन : 27. हयगज परीक्षण 59. वीणा नाद 28. पुरूष-स्त्री लक्षण 60. वितण्डावाद 29. हेमरत्न भेद 61. अंक-विचार 30. अष्टादशलिपि परिच्छेद / / 62. लोक-व्यवहार 31. तत्काल बुद्धि 63. अन्त्याक्षारिका 32. वस्तुसिद्धि . 64. प्रश्न-प्रहेलिका उपर्युक्त वर्णित 72 और 64 कलाएँ सुविकसित उद्योग-धन्धों का सुस्पष्ट प्रमाण है। हालांकि कुछ कलाओं का प्रत्यक्ष वाणिज्यिक सरोकार नहीं है। फिर भी उस प्राचीन भारत में, जब विज्ञान और तकनीक आज जैसी विकसित अवस्था में नहीं रही होगी, मानव ज्ञान, विज्ञान, संस्कृति और व्यापार के क्षेत्र में कितना बहुआयामी और बढ़ा चढ़ा था, यह आश्चर्यजनक है। बिना सुदृढ आर्थिक .. व्यवस्थाओं के इतनी कलाओं का संरक्षण संवर्द्धन संभव नहीं था। अपितु कला, (123)