________________ 4. एक प्रतिष्ठित कुटुम्ब की बहू भी कृषि सम्बन्धी आद्योपान्त ज्ञान रखती थी। इससे तत्कालीन समय में समृद्ध कृषि और खेती-बाड़ी की सूचना मिलती है। कृषि-कार्यों में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी। कृषि के लिए सहायक उपकरणों और वाहनों तथा खेती-बाड़ी की प्रक्रिया के विवरण का बहुत आर्थिक मूल्य है। माकन्दी सार्थवाह ज्ञाताधर्मकथांग के नवम् अध्ययन में यह कथा आती है। कथा अत्यन्त रोचक है। इसमें साहित्य के नौ रस - शृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, बीभत्स, अद्भुत और शान्त तथा इन नौ रसों के स्थायी भाव - रति, हास, शोक, क्रोध, उत्साह, भय, जुगुप्सा, विस्मय और शम का समावेश हुआ है। कथा के अनुसार चम्पानगरी में माकन्दी सार्थवाह रहता था। उसके दो पुत्र थे - जिनपालित और जिनरक्षित। उन्होंने ग्यारह बार व्यापार के लिए लवण समुद्र की साहसिक यात्राएँ की और प्रचुर धन कमा कर वे सकुशल स्वदेश लौटे। वे बारहवीं बार समुद्र-यात्रा करना चाहते थे। परन्तु उनके माता-पिता ने मना कर दिया। फिर भी वे धन लाभ की आशा में बारहवीं बार समुद्र-यात्रा करते हैं। समुद्र में भारी-भयानक तूफान आता हैं। के उसमें बुरी तरह फँस जाते हैं। किसी तरह जलयान के टूटे पाटिये के आसरे दोनों भाई अपनी जान बचाकर एक द्वीप पर पहुँच जाते हैं। वहाँ द्वीप पर रहने वालों के अधीन उन्हें रहना पड़ता है। एक भाई तो अपनी चतुराई, धैर्य और दृढ़ता के सहारे द्वीप से सकुशल चम्पा लौट आता है। उनकी यह वापसी वायु-मार्ग से होती है। परन्तु दूसरा चूक करता है और बीच समुद्र में ही उसे जान से हाथ धोना पड़ता है। इस कथानक में आगम युग की वाणिज्यिक गतिविधियों का मार्मिक चित्रण है। उनके निम्न आर्थिक बिन्दु उभरते हैं - 1. धनार्जन करना आसान नहीं। जीवन और जगत के सारे रंग-ढंग उसमें देखने ____ को मिलते हैं। .. 2. समुद्र-यात्रा की तैयारी। जोखिम भरी समुद्र यात्राएँ। 3. माल, माल का प्रकार, माल को मापने के उपकरणों का वर्णन। 4. स्थल-यान और जल-यान का वर्णन। . 5. आयात-निर्यात और विदेशी व्यापार। 16. देव शक्तियों और विद्याओं के सहारे आकाश-मार्ग से आवागमन। (167)