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युग्म अध्ययन
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एवं जाव वाणमंतर-जोइसिए-वेमाणियदेवित्थीओ।
-विया.स.१८,उ.४,सु.१३-१७ ५. दव्व-पएसं पडुच्च जीव-चउवीसदंडएसु सिद्धेसु य कडजुम्माइ
भेय परूवणंप. जीवेणं भंते ! दव्वट्ठयाए किं कडजुम्मे जाव कलियोए?
वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों की देवियों के
विषय में भी इसी प्रकार कहना चाहिए। ५. द्रव्य प्रदेश की अपेक्षा जीव-चौबीसदण्डकों और सिद्धों में
युग्म-भेदों का प्ररूपणप्र. भन्ते ! (एक) जीव द्रव्यार्थरूप से कृतयुग्म यावत् कल्योज
उ. गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोए, नो दावरजुम्मे,
कलियोए। दं.१-२४ एवं रइए जाव वेमाणिए।
एवं सिद्धे वि। प. जीवा णं भंते ! दव्वट्ठयाए किं कडजुम्मा जाव
कलिओया? उ. गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मा, नो तेओया, नो
दावरजुम्मा, नो कलिओया। विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेओया, नो दावरजुम्मा,
कलिओया। प. दं.१. नेरइया णं भंते ! दव्वट्ठयाए किं कडजुम्मा जाव
कलिओया? गोयमा ! १. ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओया। २. विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेओया, नो
दावरजुम्मा, कलिओया। दं.२-२४ एवं जाव वेमाणिया।
उ. गौतम ! कृतयुग्म, त्र्योज और द्वापरयुग्मरूप नहीं है किन्तु
कल्योजरूप है। दं. १-२४ इसी प्रकार (एक) नैरयिक से वैमानिक पर्यन्त जानना चाहिए।
इसी प्रकार सिद्ध के लिए भी जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! (अनेक) जीव द्रव्यार्थरूप से कृतयुग्म यावत्
कल्योजरूप हैं? उ. गौतम ! वे ओघादेश (सामान्य) से कृतयुग्म हैं, किन्तु योज,
द्वापरयुग्म या कल्योजरूप नहीं हैं। विधानादेश (विशेष) से वे कृतयुग्म, योज तथा द्वापरयुग्म
नहीं हैं, किन्तु कल्योजरूप हैं। प्र. दं.१. भन्ते ! नैरयिक द्रव्यार्थरूप से कृतयुग्म यावत् कल्योज
रूप हैं ? गौतम ! वे १. ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्मरूप है यावत् कदाचित् कल्योजरूप हैं, २. विधानादेश से वे कृतयुग्म, त्र्योज और द्वापरयुग्मरूप
नहीं हैं, किन्तु कल्योजरूप हैं। दं. २-२४ इसी प्रकार वैमानिकों पर्यन्त (द्रव्यार्थ रूप से) जानना चाहिए।
इसी प्रकार सिद्धों के लिए भी जानना चाहिए। प्र. भन्ते ! (एक) जीव प्रदेशार्थरूप से कृतयुग्म है यावत्
कल्योज है? उ. गौतम ! जीव प्रदेश की अपेक्षा कृतयुग्म है किन्तु योज,
द्वापरयुग्म और कल्योजरूप नहीं है। शरीरप्रदेशों की अपेक्षा जीव कदाचित् कृतयुग्म है यावत् कदाचित् कल्योजरूप है। दं. १-२४ इसी प्रकार नैरयिक से वैमानिक पर्यन्त कहना
चाहिए। प्र. भन्ते ! सिद्ध प्रदेशार्थरूप से कृतयुग्म है यावत् कल्योज है?
एवं सिद्धा वि। प. जीवे णं भंते ! पएसट्ठयाए किं कडजुम्मे जाव
कलियोए? उ. गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च कडजुम्मे, नो तेओये, नो
दावरजुम्मे, नो कलिओए। सरीरपएसे पडुच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिओए।
दं.१-२४ एवं नेरइए जाव वेमाणिए।
का
प. सिद्धे णं भंते ! पएसट्ठयाए किं कडजुम्मे जाव
कलियोए? उ. गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेओए, नो दावरजुम्मे, नो
कलिओए। प. जीवा णं भंते ! पएसट्ठयाए किं कडजुम्मा जाव
कलिओया? उ. गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च ओघादेसेण वि, विहाणादेसेण
वि कडजुम्मा, नो तेओया, नो दावरजुम्मा, नो कलिओया। सरीरपएसे पडुच्च ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओया,
उ. गौतम ! वह कृतयुग्म है, किन्तु योज, द्वापरयुग्म या
कल्योजरूप नहीं है। प्र. भन्ते ! (अनेक) जीव प्रदेशों की अपेक्षा क्या कृतयुग्म हैं
यावत् कल्योजरूप हैं? उ. गौतम ! जीव प्रदेशों की अपेक्षा ओघादेश और विधानादेश से
कृतयुग्म हैं, किन्तु योज, द्वापरयुग्म या कल्योजरूप नहीं हैं। शरीरप्रदेशों की अपेक्षा जीव ओघादेश से कदाचित् कृतयुग्म हैं यावत् कदाचित् कल्योज रूप हैं।