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समुद्घात अध्ययन
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४३. समुग्घाय-अज्झयणं
४३. समुद्घात-अध्ययन
सूत्र
सूत्र
१. समुग्धाय भेय परूवणं
प. कइणं भंते ! समुग्घाया पण्णता? उ. गोयमा ! सत्त समुग्धाया पण्णत्ता,तं जहा--
१. वेयणासमुग्घाए, २. कसायसमुग्घाए, ३. मारणांतियसमुग्घाए, ४. वेउव्वियसमुग्याए, ५. तेजस्समुग्धाए, ६. आहारगसमुग्घाए,
७. केवलिसमुग्घाए।' -पण्ण. प.३६, सु.२०८६ २. ओहेण समुग्घायाणं सामित्तं
गाहा-वेयणं कसाय मरणं, वेउव्विय तेयए य आहारे। केवलिए चेव भवे,जीव-मणुस्साण सत्तेव ॥
-पण्ण.प.३६,सु.२०८५ ३. ओहेण समुग्धाय काल परूवणं
प. वेयणासमुग्घाए णं भंते ! कइ समइए पण्णत्ते? उ. गोयमा ! असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए पण्णत्ते।
१. समुद्घात के भेदों का प्ररूपण
प्र. भंते ! समुद्घात कितने कहे गए हैं ? उ. गौतम ! समुद्घात सात कहे गए हैं, यथा
१. वेदनासमुद्घात, २. कषायसमुद्घात, ३. मारणान्तिकसमुद्घात, ४. वैक्रियसमुद्घात, ५. तैजस्समुद्घात, ६. आहारक समुद्घात,
७. केवलिसमुद्घात। २. सामान्य से समुद्घातों का स्वामित्व
गाथार्थ-१. वेदना, २. कषाय, ३. मारणान्तिक, ४. वैक्रिय, ५. तैजस्, ६. आहारक और ७. केवलिक ये सात समुद्घात जीवों
और मनुष्यों के होते हैं। ३. औधिक समुद्घातों का ओघ से काल प्ररूपण
प्र. भंते ! वेदनासमुद्घात कितने समय का कहा गया है? उ. गौतम ! वह असंख्यात समयों वाले अन्तर्मुहूर्त का कहा
गया है।
इसी प्रकार आहारकसमुद्घात पर्यन्त कथन करना चाहिए। प्र. भंते ! केवलिसमुद्घात कितने समय का कहा गया है? उ. गौतम ! वह आठ समय का कहा गया है।
एवं जाव आहारगसमुग्घाए। प. केवलिसमुग्घाए णं भंते ! कइ समइए पण्णत्ते? उ. गोयमा ! अट्ठसमइए पण्णत्ते।
-पण्ण. प.३६,सु.२०८७-२०८८ ४. चउवीसदंडएसु समुग्घाय परूवणं
प. दं.१.णेरइयाणं भंते ! कइ समुग्घाया पण्णत्ता? उ. गोयमा ! चत्तारि समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा
१. वेयणासमुग्घाए, २. कसायसमुग्याए,
३. मारणांतियसमुग्घाए, ४. वेउव्वियसमुग्घाए।२ प. दं. २-११. असुरकुमाराणं भंते ! कइ समुग्घाया
पण्णत्ता? गोयमा ! पंच समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा१. वेयणासमुग्घाए, २. कसायसमुग्घाए, ३. मारणांतियसमुग्घाए, ४. वेउव्वियसमुग्धाए, ५. तेजस्समुग्धाए।
एव जाव थणियकुमाराणं। प. दं. १२. पुढविक्काइयाणं भंते ! कइ समुग्धाया पण्णत्ता?
४. चौवीस दण्डकों में समुद्घातों का प्ररूपण
प्र. दं.१.भंते ! नैरयिकों के कितने समुद्घात कहे गये हैं ? उ. गौतम ! चार समुद्घात कहे गये हैं, यथा
१. वेदनासमुद्घात, २. कषायसमुद्घात,
३. मारणान्तिकसमुद्घात, ४. वैक्रियसमुद्घात। प्र. दं. २-११. भंते ! असुरकुमारों के कितने समुद्घात कहे
गये हैं? उ. गौतम ! उनके पाँच समुद्घात कहे गये हैं, यथा
१. वेदनासमुद्घात, २. कषायसमुद्घात, ३. मारणान्तिकसमुद्घात, ४. वैक्रियसमुद्घात, ५. तैजस्समुद्घात।
इसी प्रकार स्तनितकुमार पर्यन्त कहना चाहिए। प्र. दं. १२. भंते ! पृथ्वीकायिक जीवों के कितने समुद्घात कहे
गये हैं? उ. गौतम ! तीन समुद्घात कहे गये हैं, यथा
उ. गोयमा ! तिण्णि समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा
१. (क) ठाणं.अ.७, सु.५८६
(ख) सम.सम.७, सु.२ (ग) विया.स.२,उ.२,सु.१
२. (क) जीवा. पडि.१,सु.३२
(ख) ठाणं अ.४,सु.३८०
३.. (क) जीवा. पडि.१, सु.४२
(ख) विया.स.२४,उ.१२,सु.४६