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१७-३२. सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे,
एवं गरुएणं एगतेणं लहुएणं पुहतेणं एए वि सोलस भंगा,
३३-४८. सव्वे कक्खडे देसा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे,
एए वि सोलस भंगा भाणियव्या,
४९-६४. सव्वे कक्खडे देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे,
एए वि सोलस भंगा भाणियव्या एवमेए चउसट्ठि भंगा कक्खडेण समं,
६५-१२८. सव्ये मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे।
एवं मउएण वि समं चउसट्ठि भंगा भाणियव्या ।
१२९-१९२. सव्ये गरुए देसे कवडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे,
एवं गुरुएणवि समं चउसट्ठि भंगा कायव्या ।
१९३-२५६. सधे हुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे,
एवं लहुएण वि समं चउसठि भंगा कायव्या ।
२५७-३२०. सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरु देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे,
एवं सीएण वि समं चउसट्ठि भंगा कायव्वा । ३२१-३८४. सव्वे उसिणे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे,
एवं उसिणेण वि समं चउसटिंठ भंगा कायव्या । ३८५-४४८. सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे,
एवं निद्धेण वि समं चउसट्ठि भंगा कायव्वा । ४४९-५१२. सव्वे लुक्खे देसे कक्खाडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे,
द्रव्यानुयोग - (३)
१७-३२. सर्वकर्कश, एक अंश गुरु, अनेक अंश लघु, एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है।
इस प्रकार गुरु पद को एक वचन में और लघु पद को बहुवचन में रखकर पूर्ववत् यहाँ भी सोलह भंग कहने चाहिए। ३३-४८. सर्वकर्कश, अनेक अंश गुरु, एक अंश लघु,
एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध एवं एक अंश रुक्ष होता है।
ये भी सोलह भंग कहने चाहिए।
४९-६४. सर्वकर्कश, अनेक अंश गुरु, अनेक अंश लघु.
एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है।
ये भी सोलह भंग कहने चाहिए।
इस प्रकार ये १६ x ४ = ६४ भंग सर्वकर्कश के साथ कहने चाहिए।
६५-१२८. सर्वमृदु, एक अंश गुरु, एक अंश लघु,
एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है।
इस प्रकार मृदु शब्द के साथ भी पूर्ववत् १६ x ४ = ६४ भंग कहने चाहिए।
१२९-१९२. सर्वगुरु, एक अंश कर्कश, एक अंश मृदु, एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है।
इसी प्रकार गुरु के साथ भी पूर्ववत् १६ x ४ = ६४ भंग कहने चाहिए।
१९३-२५६. सर्वलघु, एक अंश कर्कश, एक अंश मृदु, एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है।
इस प्रकार लघु के साथ भी पूर्ववत् १६ x ४ = ६४ भंग कहने चाहिए।
२५७-३२०. सर्वशीत, एक अंश कर्कश, एक अंश मृदु, एक अंश गुरु, एक अंश लघु, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है।
इस प्रकार शीत के साथ भी ६४ भंग कहने चाहिए। ३२१-३८४. सर्वउष्ण, एक अंश कर्कश, एक अंश मृदु, एक अंश गुरु, एक अंश लघु, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है।
इस प्रकार उष्ण के साथ भी ६४ भंग कहने चाहिए। ३८५-४४८. सर्वस्निग्ध, एक अंश कर्कश, एक अंश मृदु, एक अंश गुरु, एक अंश लघु, एक अंश शीत और एक अंश उष्ण होता है।
इस प्रकार स्निग्ध के साथ भी ६४ भंग कहने चाहिए । ४४९-५१२. सर्वरुक्ष, एक अंश कर्कश, एक अंश मृदु, एक अंश गुरु, एक अंश लघु, एक अंश शीत और एक अंश उष्ण होता है।