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- १८०९)
पुद्गल अध्ययन
पंचमो दंडओजे अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयएगिंदियओरालियतेयाकम्मासरीरप्पओगपरिणया,ते फासिंदियपओगपरिणया,
जे पज्जत्तासुहमपुढविकाइय एगिंदियओरालियतेयाकम्मासरीरप्पओगपरिणया, ते फासिंदियपओगपरिणया, अपज्जत्तबायरपुढविकाइयएगिंदियओरालियते याकम्मासरीरप्पओगपरिणया, ते फासिंदियपओगपरिणया,
एवं पज्जत्तगा वि।
एवं एएणं अभिलावेणं जस्स जइ इंदियाणि सरीराणि य तस्स ताणि भाणियव्वाणि जावजे य पज्जत्ता सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइयदेवपंचिंदियवेउव्वियतेयाकम्मा सरीरप्पओग परिणया, ते सोइंदिय-चक्विंदिय-घाणिंदिय-जिभिदियफासिंदियपओगपरिणया, छट्ठो दंडओजे अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयएगिदियपओगपरिणया,
ते वण्णओ१. कालवण्णपरिणया वि, २. नीलवण्णपरिणया वि, ३. लोहियवण्णपरिणया वि, ४. हालिद्दवण्णपरिणया वि, ५. सुक्किल्लवण्णपरिणया वि, गंधओ१. सुब्भिगंधपरिणया वि, २. दुब्भिगंधपरिणया वि, रसओ१. तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि, ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि, फासओ१. कक्खडफासपरिणया वि जाव८. लुक्खफासपरिणया वि, संठाणओ१. परिमंडलसंठाणपरिणया वि, २. वट्टसंठाणपरिणया वि, ३. तंससंठाणपरिणया वि, ४. चउरंससंठाणपरिणया वि, ५. आययसंठाणपरिणया वि,
पाँचवाँ दण्डकजो पुद्गल अपर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक तैजस और कार्मण शरीर प्रयोग परिणत हैं वे स्पर्शेन्द्रिय प्रयोग परिणत हैं। जो पुद्गल पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक तैजस और कार्मण शरीर प्रयोग परिणत हैं वे भी स्पर्शेन्द्रिय प्रयोग परिणत हैं। जो पुद्गल अपर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय औदारिक तैजस और कार्मण शरीर प्रयोग परिणत हैं वे स्पर्शेन्द्रिय प्रयोग परिणत हैं। इसी प्रकार पर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक के सम्बन्ध में भी कहना चाहिए। इसी प्रकार इस अभिलाप से जिसके जितनी इन्द्रियाँ और शरीर हैं उसके वे कहना चाहिए यावत्जो पुद्गल पर्याप्त सर्वार्थसिद्ध अनुत्तरोपपातिक देव पंचेन्द्रिय वैक्रिय तैजस और कार्मण शरीर प्रयोग परिणत हैं, वे. श्रोत्रेन्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, जिह्वेन्द्रिय और स्पर्शेन्द्रिय प्रयोग परिणत हैं। छट्ठा दण्डकजो पुद्गल अपर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत हैं। वे वर्ण से१. कृष्णवर्ण परिणत भी हैं, २. नील वर्ण परिणत भी हैं, ३. लोहित वर्ण परिणत भी हैं, ४. पीत वर्ण परिणत भी हैं, ५. शुक्ल वर्ण परिणत भी हैं। वे गंध से१. सुरभिगन्ध परिणत भी हैं। २. दुरभिगन्ध परिणत भी हैं। वे रस से१. तिक्त रस परिणत भी हैं, २. कटुक रस परिणत भी हैं, ३. कषाय रस परिणत भी हैं, ४. अम्ल रस परिणत भी हैं, ५. मधुर रस परिणत भी हैं। वे स्पर्श से१. कर्कश स्पर्श परिणत भी हैं यावत् ८. रूक्ष स्पर्श परिणत भी हैं। संस्थान से१. परिमण्डल संस्थान परिणत भी हैं। २. वृत्त संस्थान परिणत भी हैं, ३. त्र्यंस संस्थान परिणत भी हैं, ४. चतुरन संस्थान परिणत भी हैं, ५. आयत संस्थान परिणत भी हैं।