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परिशिष्ट : ३ गणितानुयोग
२०२९
यह गणनानुपूर्वी है। विस्तार से संख्यातादि गणना संख्या का प्ररूपण
से तंगणणाणुपुवी।
-अणु. सु. २०४ वित्थरओ संखेज्जाइ गणणासंखा परूवणंसूत्र ९ (ग)
प. से किं तं गणणासंखा? उ. गणणासंखा-एक्को गणणं न उवेइ, दुष्पभितिसंखा, तं जहा
१.संखेज्जए, २.असंखेज्जए,३.अणंतए। प. से किं तं संखेज्जए? उ. संखेज्जए-तिविहे पण्णत्ते,तं जहा
१.जहण्णए, २. उक्कोसए, ३. अजहण्णमणुक्कोसए। प. से किं तं असंखेज्जए? उ. असंखेज्जए-तिविहे पण्णत्ते,तं जहा
१. परित्तासंखेज्जए, २. जुत्तासंखेज्जए,
३. असंखेज्जासंखेज्जए। प. से किं तं परित्तासंखेज्जए? उ. परित्तासंखेज्जए-तिविहे पण्णत्ते, तं जहा
१.जहण्णए, २. उक्कोसए, ३. अजहण्णमणुक्कोसए। प. से किं तं जुत्तासंखेज्जए? उ. जुत्तासंखेज्जए-तिविहे पण्णत्ते,तं जहा
१.जहण्णए. २. उक्कोसए, ३.अजहण्णमणुक्कोसए। प. से किं तं असंखेज्जासंखेज्जए? उ. असंखेज्जासंखेज्जए-तिविहे पण्णत्ते, तं जहा
१. जहण्णए, २. उक्कोसए, ३.अजहण्णमणुक्कोसए। प. से किं तं अणंतए? उ. अणंतए-तिविहे पण्णत्ते,तं जहा
१.परित्ताणतए, २.जुत्ताणंतए, ३.अणंताणतए। प. से किं तं परित्ताणतए? उ. परित्ताणतए-तिविहे पण्णत्ते, तं जहा
१.जहण्णए, २, उक्कोसए, ३, अजहण्णमणुक्कोसए। प. से किं तं जुत्ताणतए? उ. जुत्ताणतए-तिविहे पण्णत्ते,तं जहा
१. जहण्णए, २. उक्कोसए, ३. अजहण्णमणुक्कोसए। प. से किं तं अणंताणंतए? उ. अणंताणंतए-दुविहे पण्णत्ते,तं जहा
१. जहण्णए य, २. अजहण्णमणुक्कोसए य। प. जहण्णय संखेज्जयं केत्तियं होइ? उ. दोरूवाइं, तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाई ठाणाई जाव
उक्कोसयं संखेज्जयं ण पावइ।
प्र. गणनासंख्या का क्या स्वरूप है? उ. गणनासंख्या-एक गणना में नहीं लिया जाता है, इसलिए दो से
गणना प्रारम्भ होती है, यथा
१. संख्यात, २. असंख्यात, ३. अनन्त। प्र. संख्यात क्या है? उ. संख्यात तीन प्रकार का कहा गया है, यथा
१. जघन्य, २. उत्कृष्ट, ३. अजघन्य-अनुत्कृष्ट (मध्यम)। प्र. असंख्यात क्या है? उ. असंख्यात तीन प्रकार का कहा गया है, यथा
१. परीतासंख्यात, २. युक्तासंख्यात,
३. असंख्यातासंख्यात। प्र. परीतासंख्यात क्या है? उ. परीतासंख्यात तीन प्रकार का कहा गया है, यथा
१.जघन्य, २. उत्कृष्ट, ३. अजघन्य-अनुत्कृष्ट। प्र. युक्तासंख्यात क्या है? उ. युक्तासंख्यात तीन प्रकार का कहा गया है, यथा
१. जघन्य, २. उत्कृष्ट, ३. अजघन्य-अनुत्कृष्ट। प्र. असंख्यातासंख्यात क्या है? उ. असंख्यातासंख्यात तीन प्रकार का कहा गया है, यथा
१.जघन्य, २. उत्कृष्ट, ३. अजघन्य-अनुत्कृष्ट। प्र. अनन्त क्या है? उ. अनन्त तीन प्रकार का कहा गया है, यथा
१. परीतानन्त, २. युक्तानन्त, ३. अनन्तानन्त। प्र. परीतानन्त क्या है? उ. परीतानन्त तीन प्रकार का कहा गया है, यथा
१.जघन्य, २. उत्कृष्ट, ३. अजघन्य-अनुत्कृष्ट। प्र. युक्तानन्त क्या है? उ. युक्तानन्त तीन प्रकार का कहा गया है, यथा
१.जघन्य, २. उत्कृष्ट, ३. अजघन्य-अनुत्कृष्ट। प्र. अनन्तानन्त क्या है? उ. अनन्तानन्त दो प्रकार का कहा गया है, यथा
१. जघन्य, २. अजघन्य-अनुत्कृष्ट। प्र. जघन्य संख्यात का प्रमाण कितना होता है? उ. दो की संख्या जघन्य संख्यात है, उसके पश्चात् उत्कृष्ट से
पहले अजघन्यानुत्कृष्ट पर्यन्त (मध्यम) संख्यात जानना
चाहिए। प्र. उत्कृष्ट संख्यात कितने प्रमाण में होता है? उ. उत्कृष्ट संख्यात की प्ररूपणा इस प्रकार करूँगा
प. उक्कोसयं संखेज्जयं केत्तियं होइ? उ. उक्कोसयरस संखेज्जयस्स परूवणं करिस्सामि