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४. अनंतगुणकक्खडा अनंतगुणा, पएसट्ट्याए एवं चेव,
णवरं - संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा,
सेसं तं चेव ।
पोग्गला दव्वट्ठयाए
दव्वट्ठ-पएसट्टयाए
१. सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठपएसट्टयाए,
२. संखेज्जगुणकक्खडा
पोग्गला दव्वट्ठयाए
संखेज्जगुणा, ते चेव पएसट्ट्याए संखेज्जगुणा,
३. असंखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा,
चेव
पएस ट्ठयाए
अज्जगुणा
४. अनंतगुणकक्खडा पोग्गला अतगुणा, ते चेव पट्ठयाए अनंतगुणा । एवं मय-गुरु-लहुयाण वि अप्पाबहुयं ।
दव्वट्ठयाए
सी-उसिण- निद्ध-लुक्खाणं जहा बन्नाणं तहेव । ' - विया. स. २५, उ. ४, सु. १२१-१२५ १०१. परमाणुपोग्गलाणं खंधाण य दव्वट्ठ-पएसट्ठयाए कडजुम्माइ परूवणं
प. परमाणुपोग्गले णं भंते ! दव्वट्ट्याए किं कडजुम्मे, ओए, दावरजुम्मे, कलिओए ?
उ. गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेओए, नो दावरजुम्मे, कलिओ,
एवं जाव अणतपएसिए खंधे ।
प. परमाणुपोग्गला णं भंते ! दव्वट्ट्याए किं कडजुम्मा जाव कलिओगा ?
उ. गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिओगा,
विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेओगा, नो दावरजुम्मा, कलिओगा,
एवं जाव अणतपएसिया खंधा ।
प. परमाणुपोग्गले णं भंते ! पएसट्ट्याए किं कडजुम्मे जाव कलिओए ?
उ. गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेओए, नो दावरजुम्मे, कलिओए ।
प. दुपएसिए णं भंते ! खंधे पएसट्ट्याए किं कडजुम्मे जाव कलिओए ?
१. पण्ण. प. ३, सु. ३३३
उ. गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेओए, दावरजुम्मे, नो कलिओए ।
909.
द्रव्यानुयोग - (३)
४. ( उनसे ) अनन्तगुण कर्कश पुद्गल द्रव्य विवक्षा से अनन्तगुणे हैं,
प्रदेश विवक्षा से भी इसी प्रकार अल्पबहुत्व कहना चाहिए। विशेष- संख्यातगुण कर्कश पुद्गल प्रदेश विवक्षा से असंख्यातगुणे हैं।
शेष पूर्ववत् कहना चाहिए।
द्रव्य प्रदेशों की विवक्षा
१. एक गुण कर्कश पुद्गल द्रव्य प्रदेश विवक्षा से सबसे अल्प हैं,
२. ( उनसे) संख्यातगुण कर्कश पुद्गल द्रव्य विवक्षा से संख्यातगुणे हैं, वे ही प्रदेश विवक्षा से भी संख्यातगुणे हैं,
३. ( उनसे) असंख्यातगुण कर्कश पुद्गल द्रव्य विवक्षा से असंख्यातगुणे हैं, वे ही प्रदेश विवक्षा से असंख्यातगुणे हैं,
४. ( उनसे ) अनन्तगुण कर्कश पुद्गल द्रव्य विवक्षा से अनन्तगुणे हैं और वे ही प्रदेश विवक्षा से अनन्तगुणे हैं। इसी प्रकार मृदु, गुरु और लघु स्पर्शों का भी अल्पबहुत्व कहना चाहिए।
शीत, उष्ण, स्निग्ध और रुक्ष स्पर्शो का अल्प-बहुत्व वर्णों के अनुसार कहना चाहिए।
परमाणु- पुद्गल और स्कन्धों का द्रव्य व प्रदेश की अपेक्षा से कृतयुग्मादि का प्ररूपण
प्र. भंते! क्या द्रव्य की अपेक्षा (एक) परमाणु-पुद्गल कृतयुग्म है, योज है, द्वापरयुग्म है या कल्योज है ?
उ. गौतम ! वह कृतयुग्म, त्र्योज, द्वापरयुग्म नहीं है किन्तु कल्योज है।
इसी प्रकार अनन्तप्रदेशी स्कन्ध पर्यन्त कहना चाहिए। प्र. भंते ! द्रव्य की अपेक्षा (बहुत) परमाणु-पुद्गल कृतयुग्म हैं यावत् कल्योज हैं ?
उ. गौतम ! सामान्य आदेश से कदाचित् कृतयुग्म हैं यावत् कदाचित् कल्योज हैं।
विशेषादेश से कृतयुग्म, त्र्योज और द्वापरयुग्म नहीं हैं किन्तु कल्योज हैं।
इसी प्रकार अनन्त प्रदेशी स्कन्धों पर्यन्त कहना चाहिए। प्र. भंते! क्या एक परमाणु- पुद्गल प्रदेश विवक्षा से कृतयुग्म यावत् कल्योज है ?
उ. गौतम ! वह कृतयुग्म, त्र्योज और द्वापरयुग्म नहीं है, किन्तु कल्योज है।
प्र. भंते ! द्विप्रदेशी स्कन्ध प्रदेश विवक्षा से कृतयुग्म यावत् कल्योज है ?
उ. गौतम ! वह कृतयुग्म, त्र्योज या कल्योज नहीं है किन्तु द्वापर युग्म है।