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परिशिष्ट-१
संदर्भ स्थल सूची
द्रव्यानुयोग के अध्ययनों में वर्णित विषयों का धर्मकथानुयोग, चरणानुयोग, गणितानुयोग व द्रव्यानुयोग के अन्य अध्ययनों में जहाँ-जहाँ जितने उल्लेख हैं उनका पृष्ठांक व सूत्रांक सहित विषयों की सूची दी जा रही है, जिज्ञासु पाठक उन-उन स्थलों से पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लें।
-संपादक
३९. गर्भ अध्ययन (पृ. १५३९-१५६१) धर्मकथानुयोग
भाग १, खण्ड १, पृ. ९८, सू. २७०-गर्भस्थ महावीर को तीन ज्ञान।
भाग २, खण्ड ६, पृ. १२, सू. २०-रथ-मूसल संग्राम में मनुष्यों की मरण संख्या छियानवें लाख। चरणानुयोग
भाग १, पृ. १६९, सू. ३४१-मरण के अनेक प्रकार। भाग १, पृ. १६९, सू. ३४२-बाल मरण के प्रकार। भाग १, पृ. १७0, सू. ३४३-मरण के प्रकार। भाग १, पृ. १७१, सू. ३४५-बाल मरण का स्वरूप। भाग १, पृ. १७२, सू. ३४६-पंडित मरण का स्वरूप।
भाग १, पृ. २६१, सू. ५४७-बाल मरण, पंडित मरण का फल। द्रव्यानुयोग
पृ. ३५१, सू. ३-गर्भगत जीव का आहार। पृ. १४२७. सू. ५६-हरिणैगमेषी देव द्वारा गर्भ संहरण प्रक्रिया।
पृ. ८७४, सू. ३४-लेश्याओं की अपेक्षा गर्भ प्रजनन का प्ररूपण। पृ. १७७६, सू. १७-गर्भ में उत्पन्न होते हुए जीव के वर्णादि।
४०. युग्म अध्ययन (पृ. १५६२-१५९९) द्रव्यानुयोग
पृ. १२, सू. ११-षड्द्रव्यों में द्रव्य प्रदेश की अपेक्षा कृतयुग्मादि।
पृ. १७८५, सू. ३५-पाँच संस्थानों का द्रव्य प्रदेश की अपेक्षा कृतयुग्मादि।
पृ. १७८६, सू. ३६-पाँच संस्थानों में यथायोग्य कृतयुग्मादि प्रदेशावगाढत्व।
पृ. १७८७, सू. ३७–पाँच संस्थानों की कृतयुग्मादि समय स्थिति।
पृ. १८६२, सू. १०१-परमाणु पुद्गल और स्कन्धों का द्रव्य व प्रदेश की अपेक्षा कृतयुग्मादि।
पृ. १७८८, सू. ३८-पाँच संस्थानों का वर्ण-रस और स्पर्श पर्यायों के कृतयुग्मादि का प्ररूपण।
४२. आत्मा अध्ययन (पृ. १६७४-१६७९) चरणानुयोग
भाग १, पृ. १५0, सू. २४६-आत्मा दीर्घ ह्रस्व आदि का कथन।
भाग २, पृ. ४०४, सू. ८१०-आत्मवादी का सम्यक् पराक्रम। द्रव्यानुयोग
पृ. १८३९, सू. ७८-परमाणु पुद्गलों में कथंचित् आत्मादि रूप का प्ररूपण। गणितानुयोग__ पृ.८, सू. १२-समुद्घात द्वारा अधोलोक आदि को आत्मा का स्वयं जानना-देखना।
पृ. ८, सू. १२-समुद्घात किये बिना अधोलोक आदि को आत्मा का स्वयं जानना-देखना।
पृ. ८, सू. १४-वैक्रिय समुद्घात द्वारा अधोलोक आदि को आत्मा का स्वयं जानना-देखना।
पृ.८, सू. १४-वैक्रिय समुद्घात किये बिना अधोलोक आदि को आत्मा का स्वयं जानना-देखना।
४३. समुद्घात अध्ययन (पृ. १६८०-१७०७) द्रव्यानुयोग
पृ. ३५३, सू. ४-पृथ्वीकायिक में तीन समुद्घात। पृ. ३५४, सू. ४-अप्कायिक में तीन समुद्घात। पृ. ३५४, सू. ४-वायुकायिक में चार समुद्घात।
पृ. ७१८, सू. १२३-वैक्रिय समुद्घात से समवहत देव द्वारा जानना-देखना।
पृ.८१६, सू. ६-पुलाक आदि में समुद्घात। पृ. ८३८, सू.७-सामायिक संयत आदि में समुद्घात। पृ. १२६७, सू. ११-एकेन्द्रिय जीवों में तीन समुद्घात। पृ. १२६८, सू. १२-विकलेन्द्रिय जीवों में तीन समुद्घात। पृ. १२६९, सू. १३-पंचेन्द्रिय जीवों में तीन समुद्घात। पृ. १२८४, सू. ३६-उत्पल पत्र आदि जीवों में तीन समुद्घात। पृ. १५७८, सू. २२-कृतयुग्म एकेन्द्रिय में चार समुद्घात।
पृ. १६०४, सू. ३-नैरयिकों में उत्पन्न होने वाले असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों में तीन समुद्घात।
(१९१९)