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परिशिष्ट ३ गणितानुयोग
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उ. ओवणहिया कालाणुपुब्वी-तिविहा पण्णत्ता, तं जहा१. पुव्वाणुपुव्वी, २. पच्छाणुपुवी, ३. अणाणुपुवी । प से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ?
उ. पुच्चाणुपुच्ची- एगसमयठिईए दुसमयठिईए तिसमचटिईए जाव दससमयठिईए संखेज्जसमय ठिईए असंखेज्जसमयठिईए।
जाव
सेतं पुचाणुपुब्बी।
प से किं तं पच्छाणुपुवी ?
उ. पच्छाणुपुव्वी - असंखेज्जसमयठिईए जाव एक्कसमयठिईए ।
सेतं पच्छाणुपुवी । प से किं तं अणाणुपुव्वी ?
उ. अणाणुपुब्बी एपाए चैव एगादियाए एगुत्तरियाए असंखेन्ज गच्छ गयाए खेदीए अण्णमण्णासो दुरुवृणो ।
सेतं अणाणुपुची।
अहवा-ओवणिहिया कालापुच्ची तिविहा पण्णत्ता से जहा-'
१. पुव्वाणुपुव्वी, २. पच्छाणुपुब्वी, ३. अणाणुपुव्वी । प से किं तं पुण्यानुपुच्ची ?
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उ. पुव्याणुपुच्ची - समए, आवलिया, आणापानू, योये लये, मुहते, दिवसे अहोरते पक्खे, मासे, उदू अपणे, संघच्छरे, जुगे, वाससए, वाससहस्से, वाससयसहस्से, पुव्वंगे पुब्वे, डियंगे तुडिए, अडंगे अड्डे, अववंगे अववे, हुयंगे हुए, उप्पलंगे उप्पले, पउमंगे पउमे, णलिणंगे णलिणे, अत्थनिउरंगे अत्थनिउरे, अउयंगे अउए, नउयंगे नउए, पउयंगे पउए, चूलियंगे चूलिए, सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया, पलिओवमे, सागरोवमे, ओसप्पिणी, उस्सप्पिणी, पोग्गलपरियट्टे, तीतद्धा अणागतद्धा, सव्वद्धा ।
सेतं पुब्वाणुवी । प से कि त पच्छाणुपुच्ची ?
उ. पच्छाणुपुव्वी- सव्वद्धा अणागतद्धा जाव समए।
सेतं पच्छाणुपुब्वी ।
प से किं तं अणाणुपुब्वी ?
उ. अणाणुपुब्वी- एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए अणंतगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णभासो दुरूवूणो ।
सेतं वणिहिया कालाणुपुब्वी । सेतं कालाणी ।
- अणु. सु. २०१-२०२
२०१३
उ. औपनिधिकी कालानुपूर्वी तीन प्रकार की कही गई है, यथा
१. पूर्वानुपूर्वी २. पश्चानुपूर्वी, ३. अनानुपूर्वी ।
प्र.
उ.
प्र.
उ.
पूर्वानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ?
पूर्वानुपूर्वी का स्वरूप इस प्रकार है-एक समय की स्थिति वाले, दो समय की स्थिति वाले, तीन समय की स्थिति वाले यावत् दस समय की स्थिति वाले यावत् संख्यात समय की स्थिति वाले, असंख्यात समय की स्थिति वाले।
प्र.
उ
इस अनुक्रम से कथन करने को पूर्वानुपूर्वी कहते हैं। पश्चानुपूर्वी का क्या स्वरूप है?
पश्चानुपूर्वी का स्वरूप इस प्रकार है-असंख्यात समय की स्थिति वाले यावत् एक समय की स्थिति वाले द्रव्यों का
इस प्रकार विपरीत क्रम से कथन करना पश्चानुपूर्वी है। प्र. अनानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ?
उ.
अनानुपूर्वी का स्वरूप इस प्रकार है-एक से लेकर असंख्यात पर्यन्त एक-एक की वृद्धि द्वारा निष्पन्न श्रेणी में परस्पर गुणाकार करने से प्राप्त महाराशि में से आदि और अन्त के दो भंगों से न्यून राशि अनानुपूर्वी है।
अथवा औपनिधिकी कालानुपूर्वी तीन प्रकार की कही गई है,
यथा
१. पूर्वानुपूर्वी, २. पश्चानुपूर्वी, ३ . अनानुपूर्वी । पूर्वानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ?
समय, आवलिका, आनप्राण, स्तोक, लव, मुहूर्त, दिवस, अहोरात्र, पक्ष, मास, ऋतु अयन, संवत्सर, युग, वर्षशत, वर्षसहस्र वर्षशतसहस्र पूर्वाग पूर्व त्रुटितांग त्रुटित, अडडांग अडड, अववांग अवव, हुहुकांग हुहुक, उत्पलांग उत्पल, पद्मांग पद्म, नलिनांग नलिन, अर्थनिपुरांग अर्धनिपुर, अयुतांग अयुत, नक्तांग नयुत प्रयुतांग प्रयुत, चूलिकांग चूलिका शीर्षप्रहेलिकांग शीर्षप्रहेलिका पल्योपम, सागरोपम अवसर्पिणी, उत्सर्पिणी, पुद्गलपरावर्त, अतीतकाल, अनागतकाल, सर्वकाल, इस प्रकार क्रम से कथन करना काल की अपेक्षा पूर्वानुपूर्वी है।
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यह पूर्वानुपूर्वी है।
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प्र. पश्चानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ?
उ. सर्वकाल, अनागतकाल यावत् समय पर्यन्त व्युत्क्रम से पदों की स्थापना करना पश्चानुपूर्वी है। यह पश्चानुपूर्वी है।
प्र. अनानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ?
उ.
एक से प्रारम्भ कर एकोत्तर वृद्धि करके सर्वकाल पर्यन्त की श्रेणी स्थापित कर परस्पर गुणाकार से निष्पन्न राशि में से आद्य और अन्तिम दो भंगों को कम करने के बाद बचे हुए शेष भंग अनानुपूर्वी है।
यह अनानुपूर्वी है।
यह औपनिधिकी कालानुपूर्वी है।
यह कालानुपूर्वी है।