________________
( १८५० -
१८५०
एवं जाव असंखेज्जपएसोगाढे।
प. एगपएसोगाढस्स णं भंते ! पोग्गलस्स निरेयस्स अंतर
कालओ केवचिरं होइ? उ. गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए
असंखेज्जइ भाग, एवं जाव असंखेज्जपएसोगाढे।
द्रव्यानुयोग-(३) इसी प्रकार असंख्यात प्रदेशावगाढ पर्यन्त पुद्गलों का अन्तर
काल कहना चाहिए। प्र. भंते ! एक प्रदेशावगाढ निष्कम्प पुद्गल का अन्तर काल
कितना होता है? . उ. गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के
असंख्यात भाग का अन्तर होता है। इसी प्रकार असंख्यात प्रदेशावगाढ पर्यन्त पुद्गलों का अन्तर कहना चाहिए। वर्ण-गन्ध-रस-स्पर्श सूक्ष्म परिणत एवं बादर परिणत पुद्गलों का जो संस्थितिकाल है वही उनका अन्तर काल जानना
चाहिए। प्र. भंते ! शब्दपरिणत पुद्गल का अन्तर काल कितना होता है ?
वण्ण-गंध-रस-फास-सुहमपरिणय-बायरपरिणयाणं एएसिं जंचेव संचिट्ठणा तं चेव अंतरं पि भाणियव्वं ।
प. सद्दपरिणयस्स णं भंते ! पोग्गलस्स अंतरं कालओ
केवचिरं होइ? उ. गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं
कालं। प. असदपरिणयस्स णं भंते ! पोग्गलस्स अंतरं कालओ
केवचिरं होइ? उ. गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए
असंखेज्जइभाग। -विया. स. ५, उ.७, सु. २२-२८ ८६. सव्वेय-देसेय-निरेय परमाणुपोग्गल खंधाणं ठिई परूवर्ण
उ. गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल का
अन्तर होता है। प्र. भंते ! अशब्दपरिणत पुद्गल का अन्तर काल कितना होता है ?
प. परमाणुपोग्गले णं भंते ! सव्वेए कालओ केवचिरं होइ ?
उ. गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए
असंखेज्जइभागं। प. परमाणुपोग्गले णं भंते ! निरेए कालओ केवचिरं होइ ?
उ. गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज
'कालं। प. दुपएसिए णं भंते ! खंधे देसेए कालओ केवचिरं होइ ? उ. गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए
असंखेज्जइभाग। प. दुपएसिए णं भंते ! खंधे सव्वेए कालओ केवचिरं होइ? उ. गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए
असंखेज्जइभागं। प. दुपएसिए णं भंते ! खंधे निरेए कालओ केवचिरं होइ ? उ. गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं असंखेज्ज
कालं।
एवं जाव अणंतपएसिए। प. परमाणुपोग्गला णं भंते! सव्वेया कालओ केवचिरं होंति?
उ. गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के
असंख्यात भाग का अन्तर होता है। ८६. सर्व कम्पक-देश कम्पक निष्कम्पक परमाणु पुद्गल स्कन्धों
की स्थिति का प्ररूपणप्र. भंते ! (एक) परमाणु पुद्गल सर्वकम्पक कितने काल तक
रहता है? उ. गौतम ! वह जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के
असंख्यातवें भाग तक सर्वकम्पक रहता है। प्र. भंते ! (एक) परमाणु-पुर-ल निष्कम्पक कितने काल तक
रहता है? उ. गौतम ! वह जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल
तक (निष्कम्पक) रहता है। प्र. भंते ! द्विप्रदेशी स्कन्ध देशकम्पक कितने काल तक रहता है ? उ. गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के
असंख्यातवें भाग तक (देशकम्पक) रहता है। प्र. भंते ! द्वि-प्रदेशी स्कन्ध सर्वकम्पक कितने काल तक रहता है ? उ. गौतम ! वह जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के
असंख्यातवें भाग तक (सर्वकम्पक) रहता है। प्र. भंते ! द्वि-प्रदेशी स्कन्ध निष्कम्पक कितने काल तक रहता है ? उ. गौतम ! वह जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल
तक (निष्कम्पक) रहता है।
इसी प्रकार अनन्तप्रदेशीस्कन्ध पर्यन्त जानना चाहिए। प्र. भंते ! (अनेक) परमाणु-पुद्गल सर्वकम्पक कितने काल तक
रहते हैं ? उ. गौतम ! वे सदैव सर्वकम्पक रहते हैं। प्र. भंते ! (अनेक) परमाणु-पुद्गल निष्कम्पक कितने काल तक
रहते हैं?
उ. गोयमा ! सव्वद्ध। प. परमाणुपोग्गला णं भंते ! निरेया कालओ केवचिरं होंति?