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पुद्गल अध्ययन
एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ। अहवा-एगयओ असंखेज्जा दुपएसिया खंधा, एगयओ अणंतपएसिएखंधे भवइ। एवं जावअहवा-एगयओ असंखेज्जा संखेज्जपएसिया खंधा, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ। अहवा-एगयओ असंखेज्जा असंखेज्जपएसिया खंधा, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ। अहवा-असंखेज्जा अणंतपएसिया खंधा भवंति। अणंतहा कज्जमाणेअणंता परमाणुपोग्गला भवंति।
-विया. स.१२, उ.४, सु.१-१३ ४१. पोग्गलाणं पडिघाओ
तिविहे पोग्गलपडिघाएपण्णत्ते,तं जहा१. परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गले पप्प पडिहम्मेज्जा,
एक ओर एक अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर असंख्यात द्विप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होता है, इसी प्रकार यावत्अथवा-एक ओर असंख्यात संख्यातप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-एक ओर असंख्यात असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध, एक ओर एक अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होता है। अथवा-असंख्यात अनन्तप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। अनन्त विभाग किये जाने परअनन्त परमाणु- पुद्गल होते हैं।
२. लुक्खत्तात्ताए वा पडिहम्मेज्जा,
३. लोगते वा पडिहम्मेज्जा। -ठाणं अ.३, उ.४, सु. २११ ४२. पोग्गलाणं पओगपरिणयाइ भेयतिगं
प. कइविहा णं भंते ! पोग्गला पण्णता? उ. गोयमा ! तिविहा पोग्गला पण्णत्ता,तं जहा
१. पओगपरिणया, २. मीससापरिणया,
३. वीससापरिणया, -विया, स.८, उ.१,सु.३ ४३. णव दंडगेहिं पओगपरिणयपोग्गलाणं परूवणं
पढमो दण्डओप. पओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. एगिंदियपओगपरिणया जाव
५. पंचिंदियपओगपरिणया। प. एगिदियपओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा
पण्णत्ता? उ. गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. पुढविक्काइय एगिंदियपओगपरिणया जाव
५. वणस्सइकाइय एगिंदिय पओगपरिणया। प. पुढविक्काइयएगिंदियपओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला
कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. सुहुमपुदविक्काइयएगिदियपओगपरिणया य, २. बायरपुढविक्काइयएगिंदियपओगपरिणया य।
४१. पुद्गलों का प्रतिघात
तीन कारणों से पुद्गलों का प्रतिघात कहा गया है, यथा१. एक परमाणु-पुद्गल दूसरे परमाणु-पुद्गल से टकरा कर
प्रतिहत होता है। २. रूक्ष स्पर्श से प्रतिहत होता है।
३. लोकान्त में जाकर प्रतिहत होता है। ४२. पुद्गलों के प्रयोग परिणतादि भेदत्रिक
प्र. भंते ! पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उ. गौतम ! पुद्गल तीन प्रकार के कहे गये हैं, यथा
१. प्रयोग-परिणत-जीव द्वारा गृहीत पुद्गल। २. मिश्र-परिणत-प्रयोग और स्वभाव द्वारा परिणत पुद्गल।
३. विनसा-परिणत-स्वभाव से परिणत पुद्गल। ४३. नव दण्डकों द्वारा प्रयोग परिणत पुद्गल का प्ररूपण
प्रथम दण्डकप्र. भंते ! प्रयोग-परिणत-पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं? उ. गौतम ! पाँच प्रकार के कहे गये हैं, यथा
१. एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत यावत्
५. पंचेन्द्रिय-प्रयोग- परिणत। प्र. भंते ! एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे
गये हैं? उ. गौतम ! पाँच प्रकार के कहे गये हैं, यथा
१. पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत यावत्
५. वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत। प्र. भंते ! पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल कितने
प्रकार के कहे गये हैं ? उ. गौतम ! दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा
१. सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल, २. बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल।
१. ठाणं अ.३,उ.३.सु.१९२