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१३-१६. सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, एवं एए कक्खडेणं सोलस भंगा। १७-३२. सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं मउएण वि समं सोलस भंगा, एवं बत्तीसं भंगा।
। द्रव्यानुयोग-(३) ] १३-१६. सर्वकर्कश, सर्वलघु, सर्वउष्ण, एक अंश स्निग्ध
और एक अंश रुक्ष होता है इनके भी चार भंग होते हैं। इस प्रकार कर्कश के साथ सोलह भंग होते हैं। १७-३२. सर्वमृदु, सर्वगुरु, सर्वशीत, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है, इस प्रकार मृदु के साथ भी सोलह भंग होते हैं ये कुल ३२ भंग
३३-६४. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे, सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे, एए बत्तीसं भंगा। ६५-९६. सव्वे कक्खडे सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे गरुए देसे लहुए, एत्थ वि बत्तीसं भंगा, ९७-१२८. सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए, एत्थ वि बत्तीसं भंगा। एवं सब्बएपंचफासे अट्ठावीसंभंगसयंभवइ। जइ छप्फासे१.सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, २-१५.सब्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसे सीए, देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा जाव
१६. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा, एए सोलस भंगा। १७-३२.सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एत्थवि सोलस भंगा। ३३-४८.सव्वे मउए सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एत्थ वि सोलस भंगा। ४९-६४. सव्वे मउए सव्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एत्थ वि सोलस भंगा, एए चउसटिंठ भंगा, ६५-१२८.सव्वे कक्खडे सव्वे सीए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं जावसव्वे मउए सव्वे उसिणे देसा गरुया देसा लहुया देसा निद्धा देसा लुक्खा,
३३-६४. सर्वकर्कश, सर्वगुरु, सर्वस्निग्ध, एक अंश शीत
और एक अंश उष्ण होता है और सर्वकर्कश, सर्वगुरु, सर्वरुक्ष, एक अंश शीत और एक अंश उष्ण होता है। इस प्रकार कुल बत्तीस भंग होते हैं। ६५-९६. सर्वकर्कश, सर्वशीत, सर्वस्निग्ध, एक अंश गुरु
और एक अंश लघु के भी पूर्ववत् बत्तीस भंग होते हैं। ९७-१२८. सर्वगुरु, सर्वशीत, सर्वस्निग्ध, एक अंश कर्कश
और एक अंश मृदु के भी पूर्ववत् बत्तीस भंग होते हैं। इस प्रकार सब मिलाकर पाँच स्पर्श के १२८ भंग होते हैं। यदि छह स्पर्श वाला हो तो१.सर्वकर्कश, सर्वगुरु, एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। २-१५. सर्वकर्कश, सर्वगुरु, एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं यावत्१६.सर्वकर्कश, सर्वगुरु अनेक अंश शीत, अनेक अंश उष्ण, अनेक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं। इस प्रकार यहाँ भी १६ भंग होते हैं। १७-३२. सर्वकर्कश, सर्वलघु, एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है यहाँ भी सोलह भंग होते हैं। ३३-४८. सर्वमृदु, सर्वगुरु, एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। यहाँ भी सोलह भंग होते हैं। ४९-६४. सर्वमृदु, सर्वलघु, एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। यहाँ भी सोलह भंग होते हैं। ये सब मिलकर १६ + १६ + १६+ १६ = ६४ भंग होते हैं। ६५-१२८. सर्वकर्कश, सर्वशीत, एक अंश गुरु, एक अंश लघु, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। इस प्रकार यावत्सर्वमृदु, सर्वउष्ण, अनेक अंश गुरु, अनेक अंश लघु, अनेक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं। यहाँ भी चौसठ भंग होते हैं। १२९-१९२. सर्वकर्कश, सर्वस्निग्ध, एक अंश गुरु,
एत्थ विचउसट्ठि भंगा, १२९-१९२. सव्वे कक्खडे सव्वे निद्धे देसे गरुए