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पुद्गल अध्ययन
देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे जाव
सव्वे मउए सव्वे लुक्खे देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा १६,
एए चउसटिंठ भंगा, १९३-२५६:सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं जावसव्वे लहुए सव्वे उसिणे देसा कक्खडा देसा निद्धा देसा मउया देसा लुक्खा,
एए चउसट्ठि भंगा, २५७-३२०. सव्वे गरुए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे जाव
सव्वे लहुए सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा सीया देसा उसिणा,
एए चउसटिंठ भंगा, ३२१-३८४. सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए जाव सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया,
एक अंश लघु, एक अंश शीत और एक अंश उष्ण होता है यावत्सर्वमृदु, सर्वरुक्ष, अनेक अंश गुरु, अनेक अंश लघु, अनेक अंश शीत और अनेक अंश उष्ण होते हैं। यहाँ भी चौसठ भंग होते हैं। १९३-२५६. सर्वगुरु, सर्वशीत, एक अंश कर्कश, एक अंश मृदु, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है, इस प्रकार यावत्सर्वलघु, सर्वउष्ण, अनेक अंश कर्कश, अनेक अंश स्निग्ध, अनेक अंश मृदु और अनेक अंश रुक्ष होते हैं, यहाँ भी चौसठ भंग होते हैं। २५७-३२०. सर्वगुरु, सर्वस्निग्ध, एक अंश कर्कश, एक अंश मृदु, एक अंश शीत और एक अंश उष्ण होता है यावत्सर्वलघु, सर्व रुक्ष, अनेक अंश कर्कश, अनेक अंश मृदु, अनेक अंश शीत और अनेक अंश उष्ण होते हैं, यहाँ भी चौसठ भंग होते हैं। ३२१-३८४. सर्वशीत, सर्वस्निग्ध, एक अंश कर्कश, एक अंश मृदु, एक अंश गुरु और एक अंश लघु होता है यावत् सर्वउष्ण, सर्वरुक्ष, अनेक अंश कर्कश, अनेक अंश मृदु, अनेक अंश गुरु और अनेक अंश लघु होते हैं। इस प्रकार यहाँ भी चौसठ भंग होते हैं। इस प्रकार सब मिलाकर ये षट्-स्पर्श सम्बन्धी तीन सौ चौरासी (६४ x ६ = ३८४) भंग होते हैं। यदि वह सात स्पर्श वाला हो तो१. सर्वकर्कश, एक अंश गुरु, एक अंश लघु, एक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। २-४. सर्वकर्कश, एक अंश गुरु, एक अंश लघु, एक अंश शीत. एक श उष्ण, एक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं, ये भी चार भंग होते हैं। ५-८. सर्वकर्कश, एक अंश गुरु, एक अंश लघु, एक अंश शीत, अनेक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है,ये भी चार भंग होते हैं। ९-१२. सर्वकर्कश, एक अंश गुरु, एक अंश लघु, अनेक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक एक अंश रुक्ष होता है। ये भी चार भंग होते हैं। १३-१६. सर्वकर्कश, एक अंश गुरु, एक अंश लघु, अनेक अंश शीत, अनेक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। ये भी चार भंग होते हैं। ये सब मिलाकर १६ भंग होते हैं।
एव चउसटिंठ भंगा, सव्वे ते छप्फासे तिन्निचउरासीया भंगसया भवंति ३८४
जइ सत्तफासे१. सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे,
२-४. सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उरिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा ४,
५-८.सब्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ४,
९-१२. सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४,
१३-१६.सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ४,
सव्वेए सोलस भंगा भाणियव्वा,