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पुद्गल अध्ययन
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४६. पोग्गलऽज्झयणं
४६. पुद्गल अध्ययन
सूत्र
सूत्र
१. पोग्गलाणं विविहपयारेण दुविहत्तं
दुविहा पोग्गला पण्णत्ता,तं जहा१. भिन्ना चेव,
२. अभिन्ना चेव। दुविहा पोग्गला पण्णत्ता,तं जहा१. भिउरधम्मा चेव, २. नो भिउरधम्मा चेव। दुविहा पोग्गला पण्णत्ता,तं जहा१. परमाणु पोग्गला चेव, २. नो परमाणुपोग्गला चेव। दुविहा पोग्गला पण्णत्ता,तं जहा१. सुहुमा चेव, २. बायरा चेव। दुविहा पोग्गला पण्णत्ता,तं जहा१. बद्धपासपुट्ठा चेव, २. नो बद्धपासपुट्ठा चेव। दुविहा पोग्गला पण्णत्ता,तं जहा१. परियादितच्चेव, २. अपरियादितच्चेव। दुविहा पोग्गला पण्णत्ता,तं जहा१. अत्ता चेव, २. अणत्ता चेव। दुविहा पोग्गला पण्णत्ता,तं जहा१. इट्ठा चेव,
२. अणिट्ठा चेव। एवं १.कंता
२. अकंता, १. पिया,
२. अप्पिया, १. मणुन्ना,
२. अमणुना, १. मणामा,
२. अमणामा चेव।
-ठाणं अ.२,उ.३., सु.७५ २. पोग्गलागं वग्गणा भेय परूवणं
एगा परमाणुपोग्गलाणं वग्गणा, एवं एगा दुपएसियाणं खंधाणं वग्गणा जाव एगा अणंतपएसियाणं खंधाणं वग्गणा। एगा एगपएसोगाढाणं पोग्गलाणं वग्गणा, एवं एगा दुपएसोगाढाणं पोग्गलाणं वग्गणा जाव एगा असंखेज्जपएसोगाढाणं पोग्गलाणं वग्गणा। एगा एगसमयठिइयाणं पोग्गलाणं वग्गणा, एवं एगा दुसमयठिइयाणं पोग्गलाणं वग्गणा जाव एगा असंखेज्जसमयठिइयाणं पोग्गलाणं वग्गणा। एगा एगगुणकालयाणं पोग्गलाणं वग्गणा, एवं दुगुणकालयाणं पोग्गलाणं बग्गणा जाव एगा असंखेज्ज गुणकालयाणं पोग्गलाणं वग्गणा।
१. पुद्गलों की विविध प्रकार से द्विविधता
पुद्गल दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. भिन्न,
२. अभिन्न। पुद्गल दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. भिदुर धर्म (नश्वर स्वभाव वाले), २. नो भिदुर धर्म (अनश्वर स्वभाव वाले) पुद्गल दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. परमाणुपुद्गल, २. नो परमाणुपुद्गल। पुद्गल दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. सूक्ष्म,
२. बादर। पुद्गल दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. बद्धपार्श्वस्पृष्ट (स्पर्श रस और घ्राणेन्द्रिय द्वारा ग्राह्य), २. नो बद्धपार्श्वस्पृष्ट (चक्षुइन्द्रिय द्वारा ग्राह्य)। पुद्गल दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. पर्यादंत (विवक्षित अवस्था को पार कर चुके) २. अपर्यादत (विवक्षित अवस्था में विद्यमान)। पुद्गल दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. आत्त (जीव के द्वारा गृहीत), २. अनात्त-(जीव के द्वारा अगृहीत)। पुद्गल दो प्रकार के कहे गये हैं, यथा१. इष्ट,
२. अनिष्ट, इसी प्रकार-१. कान्त, २. अकान्त, १. प्रिय,
२. अप्रिय, १. मनोज्ञ,
२. अमनोज्ञ, १. मन के लिए प्रिय, २. मन के लिए अप्रिय
ये दो-दो प्रकार कहने चाहिए। २. पुद्गलों की वर्गणाओं के भेदों का प्ररूपण
परमाणु-पुद्गलों की वर्गणा एक है। इसी प्रकार एक द्विप्रदेशी स्कन्ध की वर्गणा से अनन्तप्रदेशी स्कन्धों पर्यन्त की वर्गणा एक-एक है। एक प्रदेशावगाढ पुद्गलों की वर्गणा एक है। इसी प्रकार एक द्विप्रदेशावगाढ पुद्गलों की वर्गणा से असंख्यातप्रदेशावगाढ पर्यन्त पुद्गलों की वर्गणा एक-एक है। एक समय की स्थिति वाले पुद्गलों की वर्गणा एक है। इसी प्रकार दो समय की स्थिति वाले पुद्गलों की वर्गणा यावत् असंख्यातसमय की स्थिति वाले पुद्गलों की वर्गणा एक-एक है। एक गुण काले पुद्गलों की वर्गणा एक है। इसी प्रकार दो गुण काले पुद्गलों की वर्गणा यावत् असंख्यातगुण काले पुद्गलों की वर्गणा एक-एक है।