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पुद्गल अध्ययन
७. देसा सीया, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे,
८. देसा सीया, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसा लुक्खा,
९. देसा सीया, देसे उसिणे, देसा निद्धा, देसे लुक्खे,
एवं एए तिपएसिए फासेसुपणवीसंभंगा।
प. चउप्पएसिए णं भंते ! खंधे, कइवन्ने, कइगंधे, कइरसे,
कइफासे पण्णत्ते? उ. गोयमा !सिय एगवण्णे जाव सिय चउवण्णे,
सिय एगगंधे, सिय दुगंधे,
सिय एगरसे जाव सिय चउरसे,
सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते।'
जइ एगवन्नेसिय कालए य जाव सुक्किल्लए य, जइ दुवने१. सिय कालए य नीलए य, २. सिय कालए य नीलगाय, ३. सिय कालगा य नीलए य, ४. सिय कालगाय नीलगाय, एवं ५-८.सिय कालए य लोहियए य, एत्थ वि चत्तारि भंगा,
१७५९ ७. अनेक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और एक अंश रुक्ष होता है। ८. अनेक अंश शीत, एक अंश उष्ण, एक अंश स्निग्ध और अनेक अंश रुक्ष होते हैं। ९. अनेक अंश शीत, एक अंश उष्ण, अनेक अंश स्निग्ध
और एक अंश रुक्ष होता है। इस प्रकार त्रिप्रदेशी स्कन्ध में स्पर्श के कुल (४+४+४+ १२ =२५) पच्चीस भंग होते हैं। इस प्रकार त्रिप्रदेशी स्कन्ध में वर्ण के ४५, गंध के ५, रस के ४५ और स्पर्श के २५ ये
सब मिलाकर १२० भंग होते हैं।) प्र. भंते ! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, गंध, रस और स्पर्श
वाला कहा गया है? उ. गौतम ! कदाचित् एक वर्ण वाला यावत् कदाचित् चार वर्ण
वाला होता है, कदाचित् एक गंध वाला होता है और कदाचित् दो गंध वाला होता है, कदाचित् एक रस वाला यावत् कदाचित् चार रस वाला होता है, कदाचित् दो स्पर्श वाला, कदाचित् तीन स्पर्श वाला और कदाचित् चार स्पर्श वाला कहा गया है। यदि एक वर्ण वाला हो तोकदाचित् काला यावत् श्वेत होता है। यदि दो वर्ण वाला हो तो१. कदाचित् काला और नीला होता है, २. कदाचित् एक अंश काला और अनेक अंश नीले होते हैं, ३. कदाचित् अनेक अंश काले और एक अंश नीला होता है, ४. कदाचित् अनेक अंश काले और अनेक अंश नीले होते हैं, इसी प्रकार५-८. कदाचित् काला और लाल होता है यहाँ भी पूर्ववत् चार भंग कहने चाहिए। ९-१२. कदाचित् काला और पीला होता है यहाँ भी पूर्ववत् चार भंग कहने चाहिए। १३-१६. कदाचित् काला और श्वेत होता है यहाँ भी पूर्ववत् चार भंग कहने चाहिए। १७-२०. कदाचित् नीला और लाल होता है यहाँ भी पूर्ववत् चार भंग कहने चाहिए। २१-२४. कदाचित् नीला और पीला होता है यहाँ भी पूर्ववत् चार भंग कहने चाहिए। २५-२८. कदाचित् नीला और श्वेत होता है यहाँ भी पूर्ववत् चार भंग कहने चाहिए। २९-३२. कदाचित् लाल और पीला होता है यहाँ भी पूर्ववत् चार भंग कहने चाहिए। ३३-३६. कदाचित् लाल और श्वेत होता है यहाँ भी पूर्ववत् चार भंग कहने चाहिए।
९-१२. सिय कालए य हालिद्दए य,एत्थ वि चत्तारि भंगा,
१३-१६. सिय कालए य सुक्किल्लए य, एत्थ वि चत्तारि भंगा, १७-२०. सिय नीलए य लोहियए य, एत्थ वि चत्तारि भंगा,. २१-२४. सिय नीलए य हालिद्दए य, एत्थ वि चत्तारि भंगा, २५-२८. सिय नीलए य सुक्किल्लए य, एत्थ वि चत्तारि भंगा, २९-३२. सिय लोहियए य हालिद्दए य, एत्थ वि चत्तारि भंगा, ३३-३६. सिय लोहियए य सुक्किल्लए य, एत्थ वि
चत्तारि भंगा, १. विया.स.१८,उ.६,सु.९