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१५.सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किल्लए य, १६. सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लएय, एए सोलस भंगा, एवं सव्वमेए-एक्कग-दुयग-तियग चउक्कग पंचग संजोगेणं दो सोला भंगसया भवंति।
गंधा जहा-चउप्पएसियस्स। रसा जहा-एयस्स चेव वन्ना। फासा जहा-चउप्पएसियस्स।
प. अट्ठपएसिए णं भंते ! खंधे कइवन्ने, कइगंधे, कइरसे
कइफासे पण्णत्ते? उ. गोयमा ! सिय एगवन्ने जहा-सत्तपएसियस्स जाव सिय
चउफासे पण्णत्ते। एवं एगवन्न दुवन तिवन्ना जहेव सत्तपएसिए। '
द्रव्यानुयोग-(३) ] १५. कदाचित् अनेक अंश काले, एक अंश नीला, अनेक अंश लाल, एक अंश पीला और एक अंश श्वेत होता है। १६. कदाचित् अनेक अंश काले, अनेक अंश नीले, एक अंश लाल, एक अंश पीला और एक अंश श्वेत होता है। इस प्रकार सोलह भंग होते हैं। ये असंयोगी ५, द्विकसंयोगी ४०, त्रिकसंयोगी ८०, चतुःसंयोगी ७५ और पंचसंयोगी १६ इस प्रकार कुल मिलाकर वर्ण के २१६ भंग होते हैं। गन्ध के छह भंग चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के समान होते हैं। रस के २१६ भंग इसी के (वर्ण के) समान कहने चाहिए। स्पर्श के ३६ भंग चतुःप्रदेशी स्कन्ध के समान कहने चाहिए। (इस प्रकार सप्तप्रदेशी स्कन्ध में वर्ण के २१६, गंध के ६, रस
के २१६ और स्पर्श के ३६ कुल मिलाकर ४७४ भंग होते हैं। प्र. भंते ! अष्टप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श
वाला कहा गया है? उ. गौतम ! सप्तप्रदेशी स्कन्ध के समान एक वर्ण यावत कदाचित्
चार स्पर्श वाला कहा गया है। एक वर्ण, दो वर्ण और तीन वर्ण का कथन सप्तप्रदेशी स्कन्ध के समान कहना चाहिए। यदि चार वर्ण वाला हो तो१. कदाचित् काला, नीला, लाल और पीला होता है, २. कदाचित् एक अंश काला, एक अंश नीला, एक अंश लाल और अनेक अंश पीले होते हैं, इस प्रकार सप्तप्रदेशी स्कन्ध के समान यावत्१५. कदाचित् अनेक अंश काले, अनेक अंश नीले, अनेक अंश लाल और एक अंश पीला होता है। १६. कदाचित् अनेक अंश काले, अनेक अंश नीले, अनेक अंश लाल और अनेक अंश पीले होते हैं। यह सोलहवाँ भंग है (एक चतुःसंयोगी के सोलह भंग होते हैं।) इस प्रकार इन पाँच चतुःसंयोगी भंग के कुल ८0 भंग होते हैं! यदि पाँच वर्ण वाला हो तो१. कदाचित् काला, नीला, लाल, पीला और श्वेत होता है।
जइ चउवन्ने१.सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य,
एवं जहेव सत्तपएसिए जाव१५.सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दगे य,
१६. सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दगा य, एए सोलस भंगा, एवमेए पंच चउक्कसंजोगा सव्वमेए असीइ भंगा ८० जइ पंचवन्ने१. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लगा य, एवं एएणं कमेणं भंगा चारेयव्वा जाव१५. सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दगा य सुकिल्लए य, एसो पन्नरसमो भंगो, १६. सिय कालगा य नीलगे य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लए य, १७. सिय कालगा य नीलगे य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लगा य, १८. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किल्लगे य,
२.कदाचित् एक अंश काला,एक अंश नीला, एक अंश लाल, एक अंश पीला और अनेक अंश श्वेत होते हैं। इस प्रकार इसी क्रम से (एक अनेक की अपेक्षा) १५. कदाचित् एक अंश काला, अनेक अंश नीले, अनेक अंश लाल, अनेक अंश पीले और एक अंश श्वेत होता है। पन्द्रहवाँ भंग पर्यन्त कहना चाहिए। १६. कदाचित् अनेक अंश काले, एक अंश नीला, एक अंश लाल, एक अंश पीला और एक अंश श्वेत होता है। १७. कदाचित् अनेक अंश काले, एक अंश नीला, एक अंश लाल, एक अंश पीला और अनेक अंश श्वेत होते हैं। १८. कदाचित् अनेक अंश काले, एक अंश नीला, एक अंश लाल, अनेक अंश पीले और एक अंश श्वेत होता है।