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अजीव द्रव्य अध्ययन
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४५. अजीव दव्वऽज्झयणं
४५. अजीव द्रव्य अध्ययन
सूत्र
१. दो प्रकार के अजीव द्रव्य
प्र. भन्ते ! अजीव द्रव्य कितने प्रकार के कहे गए हैं? उ. गौतम ! अजीव द्रव्य दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा
१. रूपी अजीवद्रव्य, २. अरूपी अजीवद्रव्य।
१. दुविहा अजीवदव्वा
प. अजीवदव्वा णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता,तं जहा१. रूविअजीवदव्वा य,२.अरूविअजीवदव्वा या
-विया.स.२५,उ.२,सु.२ २. दसविहा अरूविअजीवा पण्णवणा
प. से किं तं अरूविअजीवपण्णवणा? उ. अरूविअजीवपण्णवणा दसविहा पण्णत्ता,तं जहा
१. धम्मत्थिकाए, २. धम्मत्थिकायस्स देसे, ३. धम्मत्थिकायस्स पदेसा, ४. अधम्मत्थिकाए, ५. अधम्मत्थिकायस्स देसे, ६. अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, ७. आगासत्थिकाए, ८. आगासत्थिकायस्स देसे,
९. आगासत्थिकायस्स पदेसा, १०. अद्धासमए।२
सेत्तं अरूवि अजीव पण्णवणा। -पण्ण.प.१,सु.५ ३. चउव्विहा रूविअजीव पण्णवणा
प. से किं तं रूविअजीवपण्णवणा? उ. रूविअजीवपण्णवणा चउव्विहा पण्णत्ता,तं जहा
२. दस प्रकार की अरूपी अजीव प्रज्ञापना
प्र. अरूपी-अजीव-प्रज्ञापना क्या है? उ. अरूपी-अजीव-प्रज्ञापना दस प्रकार की कही गई है, यथा
१. धर्मास्तिकाय, २. धर्मास्तिकाय का देश, ३. धर्मास्तिकाय के प्रदेश, ४. अधर्मास्तिकाय, ५. अधर्मास्तिकाय का देश, ६. अधर्मास्तिकाय के प्रदेश, ७. आकाशास्तिकाय, ८. आकाशास्तिकाय का देश, ९. आकाशास्तिकाय के प्रदेश, १०. अद्धाकाल।
यह अरूपी अजीव प्रज्ञापना है। ३. चार प्रकार की रूपी अजीव प्रज्ञापना
प्र. रूपी-अजीव-प्रज्ञापना क्या है? उ. रूपी-अजीव-प्रज्ञापना चार प्रकार की कही गई है, यथा
१. प. (क) से किं तं अजीवपण्णवणा? उ. अजीवपण्णवणा दुविहा पण्णत्ता,तं जहा१.रूविअजीवपण्णवणा य, २. अरूविअजीवपण्णवणा य।
-पण्ण. प.१,सु.४ प. (ख) से किं तं अजीवाभिगमे? उ. अजीवाभिगमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा१.रूविअजीवाभिगमे य, २. अरूविअजीवाभिगमे य।
-जीवा. पडि. १, सु.३ (ग) जे अजीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा१.रूवी य, २. अरूवी य।
-विया. स. २, उ. १0, सु. ११ (घ) अजीवरासी दुविहा पण्णत्ता, तं जहा१.रूविअजीवरासी य, २. अरूविअजीवरासी य।
-सम.,सु. १४९ (ङ) अणु. सु. ४00
२. प. (क) से किं तं अरूविअजीवाभिगमे? उ. अरूविअजीवाभिगमे दसविहे पण्णत्ते, तं जहा
१.धम्मत्थिकाए जाव १०. अद्धासमए। -जीवा. पडि. १,सु.४ प. (ख) से किं तं अरूविअजीवरासी? उ. अरूविअजीवरासी दसविहा पण्णत्ता,तं जहा१. धम्मत्थिकाए जाव १०. अद्धासमए'।
-सम. सु. १४९ (ग) धम्मत्यिकाए तद्देसे, तप्पएसे य आहिए।
अधम्मे तस्स देसे य, तप्पएसे य आहिए। आगासे तस्स देसे य, तप्पएसे य आहिए। अद्धासमए चेव, अरूवी दसहा भवे॥
-उत्त.अ.३६, गा. ५-६ (घ) अणु. सु. ४०१, (ङ) विया. स.२५, उ.२, सु.२
१. अद्धति कालस्याख्या, अद्धायाः समयो निर्विभागी भागोऽद्धासमयः अयं चेक एवं वर्तमानः परमार्थः सन् नातीतानागता तेषां यथाक्रमं विनष्टानुत्पन्नत्वात्।