________________
१७४१
अजीव द्रव्य अध्ययन
३. लोहियवण्णपरिणया वि, ४. हालिद्दवण्णपरिणया वि, ५. सुक्किलवण्णपरिणया वि। गंधओ-१.सुब्भिगंधपरिणया वि, २. दुब्भिगंधपरिणया वि। रसओ-१.तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि, ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि। फासओ-१.कक्खडफासपरिणया वि, २. मउयफासपरिणया वि, ३. गरुयफासपरिणया वि, ४. लहुयफासपरिणया वि, ५. निद्धफासपरिणया वि, ६. लुक्खफासपरिणया वि। संठाणओ-१.परिमंडलसंठाणपरिणया वि, २. वट्टसंठाणपरिणया वि, ३. तंससंठाणपरिणया वि, ४. चउरंससंठाणपरिणया वि, ५. आयतसंठाणपरिणया वि। ६.जे फासओ उसिणफासपरिणया विते वण्णओ-१.कालवण्णपरिणया वि, २. नीलवण्णपरिणया वि, ३. लोहियवण्णपरिणया वि, ४. हालिद्दवण्णपरिणया वि, ५. सुक्किलवण्णपरिणया वि। गंधओ-१.सुब्भिगंधपरिणया वि, २. दुब्भिगंधपरिणया वि। रसओ-१.तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि, ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि। फासओ-१.कक्खडफासपरिणया वि, २. मउयफासपरिणया वि, ३. गरुयफासपरिणया वि, ४. लहुयफासपरिणया वि, ५. निद्धफासपरिणया वि, ६. लुक्खफासपरिणया वि।
३. रक्तवर्ण-परिणत भी हैं, ४. पीतवर्ण-परिणत भी हैं, ५. शुक्लवर्ण-परिणत भी हैं। वे गन्ध से-१.सुगन्ध-परिणत भी हैं, २. दुर्गन्ध-परिणत भी हैं। वे रस से-१. तिक्तरस-परिणत भी हैं, २. कटुरस-परिणत भी हैं, ३. कषायरस-परिणत भी हैं, ४. अम्लरस-परिणत भी हैं, ५. मधुररस-परिणत भी हैं। वे स्पर्श से-१. कर्कशस्पर्श-परिणत भी हैं, २. मृदुस्पर्श-परिणत भी हैं, ३. गुरुस्पर्श-परिणत भी हैं, ४. लघुस्पर्श-परिणत भी हैं, ५. स्निग्धस्पर्श-परिणत भी हैं, ६. रूक्षस्पर्श-परिणत भी हैं। वे संस्थान से-१.परिमण्डलसंस्थान-परिणत भी हैं, २. वृत्तसंस्थान-परिणत भी हैं, ३. त्र्यम्नसंस्थान-परिणत भी हैं, ४. चतुरमसंस्थान-परिणत भी हैं, ५. आयतसंस्थान-परिणत भी हैं। ६. जो स्पर्श से उष्णस्पर्श-परिणत हैं, वे वर्ण से-१. कृष्णवर्ण-परिणत भी हैं, २. नीलवर्ण-परिणत भी हैं, ३. रक्तवर्ण-परिणत भी हैं, ४. पीतवर्ण-परिणत भी हैं, ५. शुक्लवर्ण-परिणत भी हैं। वे गन्ध से- १. सुगन्ध-परिणत भी हैं, २. दुर्गन्ध-परिणत भी हैं। वे रस से-१. तिक्तरस-परिणत भी हैं, २. कटुरस-परिणत भी हैं, ३. कषायरस-परिणत भी हैं, ४. अम्लरस-परिणत भी हैं, ५. मधुररस-परिणत भी हैं। वे स्पर्श से-१. कर्कशस्पर्श-परिणत भी हैं, २. मृदुस्पर्श-परिणत भी हैं, ३. गुरुस्पर्श-परिणत भी हैं, ४. लघुस्पर्श-परिणत भी हैं, ५. स्निग्धस्पर्श-परिणत भी हैं, ६. रूक्षस्पर्श-परिणत भी हैं।
१. फासओ सीयएजे उ,भइएसे उवण्णओ।
गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओ वि य॥
-उत्त.अ.३६,गा.३८