________________
१७३३
अजीव द्रव्य अध्ययन
३. तंससंठाणपरिणया वि, ४. चउरंससंठाणपरिणया वि, ५. आयतसंठाणपरिणया वि। ३. जे वण्णओ लोहियवण्णपरिणयाते गंधओ-१.सुब्भिगंधपरिणया वि, २. दुभिगंधपरिणया वि। रसओ- १.तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि, ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि। फासओ-१.कक्खडफासपरिणया वि, २. मउयफासपरिणया वि, ३. गरुयफासपरिणया वि, ४. लहुयफासपरिणया वि, ५.सीयफासपरिणया वि, ६. उसिणफासपरिणया वि, ७. निद्धफासपरिणया वि, ८. लुक्खफासपरिणया वि। संठाणओ-१.परिमंडलसंठाणपरिणया वि, २. वट्टसंठाणपरिणया वि, ३. तंससंठाणपरिणया वि, ४. चउरंससंठाणपरिणया वि, ५. आयतसंठाणपरिणया विरे। ४. जे वण्णओ हालिद्दवण्णपरिणयाते गंधओ-१.सुब्भिगंधपरिणया वि, २. दुब्भिगंधपरिणया वि। रसओ- १.तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि, ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि। फासओ-१.कक्खडफासपरिणया वि, २. मउयफासपरिणया वि, ३. गरुयफासपरिणया वि, ४. लहुयफासपरिणया वि, ५.सीयफासपरिणया वि, . ६. उसिणफासपरिणया वि, ७. निद्धफासपरिणया वि, ८. लुक्खफासपरिणया वि।
३. त्र्यम्न (त्रिकोण) संस्थान-परिणत भी हैं, ४. चतुरन (चतुष्कोण) संस्थान-परिणत भी हैं, ५. आयतसंस्थान-परिणत भी हैं। ३.जो वर्ण से रक्तवर्ण-परिणत हैंवे गन्ध से-१. सुगन्ध-परिणत भी हैं, २. दुर्गन्ध-परिणत भी हैं। वे रस से-१. तिक्तरस-परिणत भी हैं, २. कटुरस-परिणत भी हैं, ३. कषायरस-परिणत भी हैं, ४. अम्लरस-परिणत भी हैं, ५. मधुररस-परिणत भी हैं। वे स्पर्श से-१. कर्कशस्पर्श-परिणत भी हैं, २. मृदुस्पर्श-परिणत भी हैं, ३. गुरुस्पर्श-परिणत भी हैं, ४. लघुस्पर्श-परिणत भी हैं, ५. शीतस्पर्श-परिणत भी हैं, ६. उष्णस्पर्श-परिणत भी हैं, ७. स्निग्धस्पर्श-परिणत भी हैं, ८. रूक्षस्पर्श-परिणत भी हैं। वे संस्थान से-१. परिमण्डलसंस्थान-परिणत भी हैं, २. वृत्तसंस्थान-परिणत भी हैं, ३. त्र्यनसंस्थान-परिणत भी हैं, ४. चतुरनसंस्थान-परिणत भी हैं, ५. आयतसंस्थान-परिणत भी हैं। ४. जो वर्ण से हारिद्र (पीत) वर्ण-परिणत हैं, वे गन्ध से-१. सुगन्ध-परिणत भी हैं, २. दुर्गन्ध-परिणत भी हैं। वे रस से-१.तिक्तरस-परिणत भी हैं, २. कटुरस-परिणत भी हैं, ३. कषायरस-परिणत भी हैं, ४. अम्लरस-परिणत भी हैं, ५. मधुररस-परिणत भी हैं। वे स्पर्श से-१. कर्कशस्पर्श-परिणत भी हैं, २. मृदुस्पर्श-परिणत भी हैं, ३. गुरुस्पर्श-परिणत भी हैं, ४. लघुस्पर्श-परिणत भी हैं, ५. शीतस्पर्श-परिणत भी हैं, ६. उष्णस्पर्श-परिणत भी हैं, ७. स्निग्धस्पर्श-परिणत भी हैं, ८. रूक्षस्पर्श-परिणत भी हैं।
१. वण्णओ जे भवे नीले, भइए से उ गंधओ।
रसओ फासओ चेव, भडए संठाणओ वि य॥ -उत्त. अ.३६, गा.२३
२. वण्णओ लोहिए जे उ, भइए से उ गंधओ।
रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य॥ -उत्त. अ. ३६, गा. २४