________________
१७३२
५. वण्ण परिणयाणं सय भेया- ...
१. जेवण्णओ कालवण्णपरिणयाते गंधओ-१.सुब्भिगंधपरिणया वि, २. दुब्भिगंधपरिणया वि। रसओ- १.तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि, ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि। फासओ-१.कक्खडफासपरिणया वि, २. मउयफासपरिणया वि, ३. गरुयफासपरिणया वि, ४. लहुयफासपरिणया वि, ५.सीयफासपरिणया वि, ६.उसिणफासपरिणया वि, ७. निद्धफासपरिणया वि, ८. लुक्खफासपरिणया वि। संठाणओ-१.परिमंडलसंठाणपरिणया वि, २. वट्टसंठाणपरिणया वि, ३. तससंठाणपरिणया वि, ४. चउरंससंठाणपरिणया वि, ५. आयतसंठाणपरिणया वि। २.जे वण्णओ नीलवण्णपरिणयाते गंधओ-१.सुब्मिगंधपरिणया वि, २.दुब्मिगंधपरिणया वि। रसओ-१.तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि, ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि। फासओ-१.कक्खडफासपरिणया वि, २. मउयफासपरिणया वि, ३. गरुयफासपरिणया वि, ४. लहुयफासपरिणया वि, ५.सीयफासपरिणया वि, ६. उसिणफासपरिणया वि, ७. निद्धफासपरिणया वि, ८. लुक्खफासपरिणया वि। संटाणओ-१.परिमंडलसंठाणपरिणया वि, २. वट्टसंठाणपरिणया वि,
द्रव्यानुयोग-(३)) ५. वर्ण परिणतादि के सौ भेद
१.जो वर्ण से काले वर्ण के रूप में परिणत हैंवे गन्ध से-१. सुरभिगन्ध-परिणत भी हैं, २. दुरभिगन्ध-परिणत भी हैं। वे रस से-१. तिक्तरस-परिणत भी हैं, २. कटुरस-परिणत भी हैं, ३. कषायरस-परिणत भी हैं, ४. अम्लरस-परिणत भी हैं, ५. मधुररस-परिणत भी हैं। वे स्पर्श से-१. कर्कश स्पर्श-परिणत भी हैं, २. मृदुस्पर्श-परिणत भी हैं, ३. गुरुस्पर्श-परिणत भी हैं, ४. लघुस्पर्श-परिणत भी हैं, ५. शीतस्पर्श-परिणत भी हैं, ६. उष्णस्पर्श-परिणत भी हैं, ७. स्निग्धस्पर्श-परिणत भी हैं, ८. रूक्षस्पर्श-परिणत भी हैं। वे संस्थान से- १. परिमण्डलसंस्थान-परिणत भी हैं, २. वृत्तसंस्थान-परिणत भी हैं, ३. त्रिकोण संस्थान-परिणत भी हैं, ४. चतुष्कोण संस्थान-परिणत भी हैं, ५. आयतसंस्थान-परिणत भी हैं। २.जो वर्ण से नीले वर्ण में परिणत होते हैं, वे गन्ध से-१. सुगन्ध-परिणत भी हैं २. दुर्गन्ध-परिणत भी हैं। वे रस से-१. तिक्तरस-परिणत भी हैं, २. कटुरस-परिणत भी हैं, ३. कषायरस-परिणत भी हैं, ४. अम्लरस-परिणत भी हैं, ५. मधुररस-परिणत भी हैं। वे स्पर्श से-१. कर्कश स्पर्श-परिणत भी हैं, २. मृदुस्पर्श-परिणत भी हैं, ३. गुरुस्पर्श-परिणत भी हैं, ४. लघुस्पर्श-परिणत भी हैं, ५. शीतस्पर्श-परिणत भी हैं, ६. उष्णस्पर्श-परिणत भी हैं, ७. स्निग्धस्पर्श-परिणत भी हैं, ८. रूक्षस्पर्श-परिणत भी हैं। वे संस्थान से-१. परिमण्डलसंस्थान-परिणत भी हैं, २. वृत्तसंस्थान-परिणत भी हैं,
१. वण्णओ जे भवे किण्हे, भइए से उ गंधओ।
रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य॥ -उत्त. अ. ३६, गा. २२