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समुद्घात अध्ययन
- १६८३ )
उ. गौतम ! पाँच समुद्घात कहे गए हैं, यथा
१. वेदना समुद्घात यावत् ५. तैजस्समुद्घात। इसी प्रकार गर्भज स्थलचरों और खेचरों के भी पाँच
समुद्घात हैं। प्र. भंते ! सम्मूर्छिम मनुष्यों के कितने समुद्घात कहे गए हैं? उ. गौतम ! तीन समुद्घात कहे गए हैं, यथा
१. वेदना समुद्घात, २. कषाय समुद्घात,
३. मारणांतिक समुद्घात। प्र. भंते ! गर्भज मनुष्यों के कितने समुद्घात कहे गए हैं ? उ. गौतम ! सातों समुद्घात कहे गए हैं, यथा
१. वेदना समुद्घात यावत् ७. केवलि समुद्घात।
उ. गोयमा ! पंच समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा
१. वेयणा समुग्घाए जाव ५.तेजस् समुग्घाए। गब्भवक्कंतिय थलयराणं खहयराणं पंच समुग्घाया एवं चेव।
-जीवा. पडि.१, सु.३८-४० प. सम्मुच्छिम मणुस्साणं भंते ! कइ समुग्घाया पण्णत्ता? उ. गोयमा ! तिण्णि समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा
१. वेयणा समुग्घाए, २. कसाय समुग्घाए,
३. मारणांतिय समुग्घाए। प. गब्भवक्कंतिय मणुस्साणं भंते ! कइ समुग्घाया पण्णत्ता? उ. गोयमा ! सत्त समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा१. वेयणा समुग्धाए जाव७.केवलि समुग्घाए।
___-जीवा. पडि. १, सु.४१ ७. ओहेण अणंतरोववन्नगाईसु एक्कारसठाणेसु एगिदियाणं
समुग्घाय परूवणंप. एगिंदियाणं भंते !कइ समुग्धाया पण्णता? उ. गोयमा ! चत्तारि समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा
१. वेयणासमुग्घाए, २. कसायसमुग्घाए, ३. मारणांतियसमुग्घाए, ४. वेउव्वियसमुग्घाए।
-विया. स.३४, उ.१, सु.७५ प. अणंतरोववन्नग एगिंदियाणं भंते ! कइ समुग्घाया
पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दोण्णि समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा१. वेयणासमुग्घाए य, २. कसायसमुग्घाए य।
-विया.स.३४,उ.२,सु.६ प. परम्परोववन्नग एगिदियाणं भंते ! कइ समुग्घाया
पण्णत्ता? उ. गोयमा ! चत्तारि समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा१. वेयणासमुग्घाए जाव ४. वेउव्वियसमुग्घाए।
-विया. स.३४, उ.३,सु.१ एवं सेसा वि अट्ठ उद्देसगा जाव अचरिमो त्ति।
७. औधिक और अनन्तरोपपन्नकादि ग्यारह स्थानों में एकेन्द्रियों
के समुद्घातों का प्ररूपणप्र. भंते ! एकेन्द्रिय जीवों के कितने समुद्घात कहे गए हैं? उ. गौतम ! उनके चार समुद्घात कहे गये हैं, यथा
१. वेदनासमुद्घात, २. कषाय समुद्घात, ३. मारणांतिक समुद्घात, ४. वैक्रियसमुद्घात।
प्र. भंते ! अनन्तरोपपन्नक एकेन्द्रिय जीवों के कितने समुद्घात
कहे गये हैं ? उ. गौतम !(उनके) दो समुद्घात कहे गए हैं, यथा
१. वेदनासमुद्घात, २. कषाय समुद्घात।
प्र. भंते ! परंपरोपपन्नक एकेन्द्रिय जीवों के कितने समुद्घात कहे
गए हैं? उ. गौतम ! चार समुद्घात कहे गए हैं, यथा
१. वेदना समुद्घात यावत् ४. वैक्रिय समुद्घातां
णवरं-अणंतरा चत्तारि अणंतर सरिसा।
परंपरा चत्तारि परंपर सरिसा।
चरिमा य, अचरिमा य एवं चेव। -विया. स. ३४, उ. ४-११
इसी प्रकार शेष आठ उद्देशकों में अचरिम उद्देशक पर्यन्त समुद्घात जानने चाहिए। विशेष-अनंतर विशेषण वाले चा उद्देशक अनन्तरोपपन्नक के समान हैं, परम्पर विशेषण वाले चार उद्देशक परंपरोपपन्नक के समान हैं। इसी प्रकार चरम और अचरम उद्देशक में भी समुद्घातों का
कथन करना चाहिए। ८. सौधर्मादि वैमानिकदेवों में समुद्घातों का प्ररूपणप्र. भंते ! सौधर्म-ईशान देवलोकों में देवों के कितने समुद्घात कहे
गए हैं? उ. गौतम ! पाँच समुद्घात कहे गए हैं, यथा
१. वेदना समुद्घात, २. कषाय समुद्घात, ३. मारणांतिक समुद्घात, ४. वैक्रिय समुद्घात, ५. तैजस समुद्घात।
८. सोहम्माईसु वेमाणिय देवेसु समुग्घाय परूवणं
प. सोहम्मीसाणेसुणं भंते ! देवाणं कइ समुग्घाया पण्णत्ता? -
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उ. गोयमा ! पंच समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा
१. वेयणासमुग्घाए, २. कसायसमुग्याए, ३. मारणांतियसमुग्याए, ४. वेउव्वियसमुग्घाए, ५. तेजस् समुग्घाए।