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चरमाचरम अध्ययन उ. गोयमा ! सिय चरिमे, सिय अचरिमे,
दं.२-२४ एवं निरंतरं जाव वेमाणिए।
प. दं. १ नेरइया णं भंते ! भावचरिमेणं किं चरिमा,
अचरिमा? उ. गोयमा ! चरिमा वि, अचरिमा वि,
दं.२-२४ एवं निरंतरं जाव वेमाणिया।
(८) वण्ण दारंप. दं.१ नेरइएणं भंते ! वण्णचरिमेणं किं चरिमे,अचरिमे?
उ. गोयमा ! सिय चरिमे, सिय अचरिमे,
दं.२-२४ एवं निरंतरं जाव वेमाणिए।
प. दं. १ नेरइया णं भंते ! वण्णचरिमेणं किं चरिमा,
अचरिमा? उ. गोयमा ! चरिमा वि, अचरिमा वि,
दं.२-२४ एवं निरंतरं जाव वेमाणिया।
(९) गंध दारंप. दं.१ नेरइएणं भंते ! गंधचरिमेणं किं चरिमे,अचरिमे?
- १७११) उ. गौतम ! वह कथंचित् चरम है और कथंचित् अचरम है।
दं.२-२४ इसी प्रकार निरन्तर (एक) वैमानिक पर्यन्त कहना
चाहिए। प्र. दं.१.भन्ते !(अनेक) नैरयिक भावचरम की अपेक्षा से चरम
हैं या अचरम हैं? उ. गौतम ! वे चरम भी हैं और अचरम भी हैं।
द. २-२४ इसी प्रकार निरन्तर वैमानिकों पर्यन्त कहना
चाहिए। (८) वर्ण द्वारप्र. द.१. भन्ते ! (एक) नैरयिक वर्णचरम की अपेक्षा से चरम है
या अचरम है? उ. गौतम ! वह कथंचित् चरम है और कथंचित् अचरम है।
दं.२-२४ इसी प्रकार निरन्तर (एक) वैमानिक पर्यन्त कहना
चाहिए। प्र. द.१.भन्ते !(अनेक) नैरयिक वर्ण चरम की अपेक्षा से चरम
हैं या अचरम हैं? उ. गौतम ! वे चरम भी हैं और अचरम भी हैं।
दं. २-२४ इसी प्रकार निरन्तर वैमानिकों पर्यन्त कहना
चाहिए। (९) गंध द्वारप्र. दं.१. भन्ते ! (एक) नैरयिक गन्धचरम की अपेक्षा से चरम
है या अचरम है? उ. गौतम ! वह कथंचित् चरम है और कथंचित् अचरम है।
दं. २-२४ इसी प्रकार निरन्तर (एक) वैमानिक पर्यन्त कहना
चाहिए। प्र. दं.१. भन्ते ! गन्धचरम की अपेक्षा से (अनेक) नैरयिक चरम
हैं या अचरम हैं? उ. गौतम ! वे चरम भी हैं और अचरम भी हैं।
दं. २-२४ इसी प्रकार निरन्तर वैमानिकों पर्यन्त कहना
चाहिए। (१०) रस द्वारप्र. दं.१.भन्ते ! (एक) नैरयिक रसचरम की अपेक्षा से चरम है
या अचरम है? उ. गौतम ! वह कथंचित् चरम है और कथंचित् अचरम है।
दं.२-२४ इसी प्रकार निरन्तर (एक) वैमानिक पर्यन्त कहना
चाहिए। प्र. दं.१.भन्ते ! (अनेक) नैरयिक रसचरम की अपेक्षा से चरम
हैं या अचरम है? उ. गौतम ! वे चरम भी हैं और अचरम भी हैं।
दं. २-२४ इसी प्रकार निरन्तर वैमानिकों पर्यन्त कहना
चाहिए। (११) स्पर्श द्वारप्र. द.१.भन्ते !(एक) नैरयिक स्पर्शचरम की अपेक्षा से चरम है
या अचरम है?
उ. गोयमा ! सिय चरिमे, सिय अचरिमे,
दं.२-२४ एवं निरंतरं जाव वेमाणिए।
प. दं. १ नेरइया णं भंते ! गंधचरिमेणं किं चरिमा,
अचरिमा? उ. गोयमा ! चरिमा वि, अचरिमा वि,
दं.२-२४ एवं निरंतरं जाव वेमाणिया।
(१०) रंस दारं
प. दं.१ नेरइएणं भंते ! रसचरिमेणं किं चरिमे,अचरिमे?
उ. गोयमा ! सिय चरिमे, सिय अचरिमे,
दं.२-२४ एवं निरंतरं जाव वेमाणिए।
प. दं. १ नेरइया णं भंते ! रसचरिमेणं किं चरिमा,
अचरिमा? उ. गोयमा ! चरिमा वि,अचरिमा वि,
दं.२-२४ एवं निरंतरं जाव वेमाणिया।
(११) फास दारं
प. दं.१ नेरइएणं भंते ! फासचरिमेणं किं चरिमे, अचरिमे?