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________________ समुद्घात अध्ययन १६८१ ४३. समुग्घाय-अज्झयणं ४३. समुद्घात-अध्ययन सूत्र सूत्र १. समुग्धाय भेय परूवणं प. कइणं भंते ! समुग्घाया पण्णता? उ. गोयमा ! सत्त समुग्धाया पण्णत्ता,तं जहा-- १. वेयणासमुग्घाए, २. कसायसमुग्घाए, ३. मारणांतियसमुग्घाए, ४. वेउव्वियसमुग्याए, ५. तेजस्समुग्धाए, ६. आहारगसमुग्घाए, ७. केवलिसमुग्घाए।' -पण्ण. प.३६, सु.२०८६ २. ओहेण समुग्घायाणं सामित्तं गाहा-वेयणं कसाय मरणं, वेउव्विय तेयए य आहारे। केवलिए चेव भवे,जीव-मणुस्साण सत्तेव ॥ -पण्ण.प.३६,सु.२०८५ ३. ओहेण समुग्धाय काल परूवणं प. वेयणासमुग्घाए णं भंते ! कइ समइए पण्णत्ते? उ. गोयमा ! असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए पण्णत्ते। १. समुद्घात के भेदों का प्ररूपण प्र. भंते ! समुद्घात कितने कहे गए हैं ? उ. गौतम ! समुद्घात सात कहे गए हैं, यथा १. वेदनासमुद्घात, २. कषायसमुद्घात, ३. मारणान्तिकसमुद्घात, ४. वैक्रियसमुद्घात, ५. तैजस्समुद्घात, ६. आहारक समुद्घात, ७. केवलिसमुद्घात। २. सामान्य से समुद्घातों का स्वामित्व गाथार्थ-१. वेदना, २. कषाय, ३. मारणान्तिक, ४. वैक्रिय, ५. तैजस्, ६. आहारक और ७. केवलिक ये सात समुद्घात जीवों और मनुष्यों के होते हैं। ३. औधिक समुद्घातों का ओघ से काल प्ररूपण प्र. भंते ! वेदनासमुद्घात कितने समय का कहा गया है? उ. गौतम ! वह असंख्यात समयों वाले अन्तर्मुहूर्त का कहा गया है। इसी प्रकार आहारकसमुद्घात पर्यन्त कथन करना चाहिए। प्र. भंते ! केवलिसमुद्घात कितने समय का कहा गया है? उ. गौतम ! वह आठ समय का कहा गया है। एवं जाव आहारगसमुग्घाए। प. केवलिसमुग्घाए णं भंते ! कइ समइए पण्णत्ते? उ. गोयमा ! अट्ठसमइए पण्णत्ते। -पण्ण. प.३६,सु.२०८७-२०८८ ४. चउवीसदंडएसु समुग्घाय परूवणं प. दं.१.णेरइयाणं भंते ! कइ समुग्घाया पण्णत्ता? उ. गोयमा ! चत्तारि समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा १. वेयणासमुग्घाए, २. कसायसमुग्याए, ३. मारणांतियसमुग्घाए, ४. वेउव्वियसमुग्घाए।२ प. दं. २-११. असुरकुमाराणं भंते ! कइ समुग्घाया पण्णत्ता? गोयमा ! पंच समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा१. वेयणासमुग्घाए, २. कसायसमुग्घाए, ३. मारणांतियसमुग्घाए, ४. वेउव्वियसमुग्धाए, ५. तेजस्समुग्धाए। एव जाव थणियकुमाराणं। प. दं. १२. पुढविक्काइयाणं भंते ! कइ समुग्धाया पण्णत्ता? ४. चौवीस दण्डकों में समुद्घातों का प्ररूपण प्र. दं.१.भंते ! नैरयिकों के कितने समुद्घात कहे गये हैं ? उ. गौतम ! चार समुद्घात कहे गये हैं, यथा १. वेदनासमुद्घात, २. कषायसमुद्घात, ३. मारणान्तिकसमुद्घात, ४. वैक्रियसमुद्घात। प्र. दं. २-११. भंते ! असुरकुमारों के कितने समुद्घात कहे गये हैं? उ. गौतम ! उनके पाँच समुद्घात कहे गये हैं, यथा १. वेदनासमुद्घात, २. कषायसमुद्घात, ३. मारणान्तिकसमुद्घात, ४. वैक्रियसमुद्घात, ५. तैजस्समुद्घात। इसी प्रकार स्तनितकुमार पर्यन्त कहना चाहिए। प्र. दं. १२. भंते ! पृथ्वीकायिक जीवों के कितने समुद्घात कहे गये हैं? उ. गौतम ! तीन समुद्घात कहे गये हैं, यथा उ. गोयमा ! तिण्णि समुग्घाया पण्णत्ता,तं जहा १. (क) ठाणं.अ.७, सु.५८६ (ख) सम.सम.७, सु.२ (ग) विया.स.२,उ.२,सु.१ २. (क) जीवा. पडि.१,सु.३२ (ख) ठाणं अ.४,सु.३८० ३.. (क) जीवा. पडि.१, सु.४२ (ख) विया.स.२४,उ.१२,सु.४६
SR No.090160
Book TitleDravyanuyoga Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj & Others
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1995
Total Pages670
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size26 MB
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