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गम्मा अध्ययन
- १६६५ )
णवर-ठिई अणुबंधो संवेहं च उवउंजिऊण जाणेज्जा। (१-९)
-विया. स. २४, उ. २२, सु.१-७ ६८. वाणमंतरेसु उववज्जतेसु मणुस्साणं उववायाइ वीसं दारं
पखवणंजइ मणुस्सेहिंतो उववज्जति असंखेज्जवासाउयाणं लद्धी जहेव नागकुमाराणं उद्देसए भणिया तहेव भाणियव्वा।
णवर-तइयगमए ठिई जहण्णेणं पलिओवम, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं। ओगाहणा जहण्णेणं गाउयं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई।
संवेहो से जहा एत्थ चेव उद्देसए असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिंदियाणं भणिओतहा भाणियव्यो। संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सा जहेव नागकुमारुद्देसए,
णवर-वाणमंतराणं ठिई संवेहं च उवउंजिऊण
जाणेज्जा । (१-९) -विया. स. २४, उ. २२, सु.८-९ ६९. जोइसिए उववज्जतेसु सन्नि पंचिंदिय तिरिक्खजोणियाणं
उववायाइ वीसं दारं परूवणंप. जोइसिया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति-किं
नेरइएहिंतो उववज्जति जाव देवेहिंतो उववज्जंति?
विशेष-स्थिति, अनुबंध और संवेध उपयोग लगाकर कहना
चाहिए। (१-९) ६८. वाणव्यंतरों में उत्पन्न होने वाले मनुष्यों के उपपातादि बीस
द्वारों का प्ररूपणयदि वे (वाणव्यतर देव) मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं तो असंख्यात वर्ष की आयु वाले मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं आदि नागकुमार उद्देशक में कहे अनुसार करना चाहिए। विशेष-तीसरे गमक में स्थिति जघन्य एक पल्योपम की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की होती है। अवगाहना जघन्य एक गाउ की और उत्कृष्ट तीन गाउ की होती है। इसका संवेध इसी उद्देशक में कहे गए असंख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक के समान कहना चाहिए। संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी मनुष्यों का कथन नागकुमार उद्देशक के समान जानना चाहिए। विशेष-वाणव्यंतर देवों की स्थिति और संवेध उपयोगपूर्वक
भिन्न-भिन्न जानना चाहिए।(१-९) ६९. ज्योतिष्कों में उत्पन्न होने वाले संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों
के उपपातादि बीस द्वारों का प्ररूपणप्र. भंते ! ज्योतिष्क देव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? क्या वे
नैरयिकों से आकर उत्पन्न होते हैं यावत् देवों से आकर उत्पन्न
होते हैं? उ. गौतम ! वे नैरयिकों से आकर उत्पन्न नहीं होते,
तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, मनुष्यों से आकर
उत्पन्न होते हैं किन्तु देवों से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. भंते ! यदि पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं
तो क्या संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं या असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न
होते हैं? उ. गौतम ! संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. भंते ! यदि वे (ज्योतिष्क देव) संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों से
आकर उत्पन्न होते हैं तो भन्ते ! क्या वे संख्यातवर्ष की आयु वालों से उत्पन्न होते हैं या असंख्यातवर्ष की आयु वालों से
उत्पन्न होते हैं? उ. गौतम ! वे संख्यातवर्ष की आयु वालों से आकर भी उत्पन्न
होते हैं और असंख्यातवर्ष की आयु वालों से आकर भी उत्पन्न
होते हैं। प्र. भंते ! असंख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जो ज्योतिष्कदेवों में उत्पन्न होने योग्य है तो भंते ! वह कितने काल की स्थिति वाले ज्योतिष्क देवों में उत्पन्न होता है?
उ. गोयमा ! नो नेरइएहिंतो उववज्जति, तिरिक्ख
जोणिएहिंतो उववज्जति, मणुस्सेहिंतो उववज्जति, नो
देवेहिंतो उववज्जति। प. भंते ! जइ पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति-किं
सण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, असण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति?
उ. गोयमा ! सण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो
उववज्जंति, नो असण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववति?
प. भंते ! जइ सण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो
उववज्जंति-किं संखेज्जवासाउय असंखेज्जवासाउय उववज्जति?
उ. गोयमा ! संखेज्जवासाउय वि, असंखेज्जवासाउय वि
उववज्जति।
प. असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं
भंते! जे भविए जोइसिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवइयं कालट्ठिईएसु उववज्जेज्जा?