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प. जस्स णं भंते! दवियाया तस्स जोगाया जस्स जोगाया तस्स दवियाया ?
उ. गोयमा ! एवं जहा दवियाया य, कसायाया य भणिया तहा दवियाया व जोगाया व भाणियव्या
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प. जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स उवओगाया जस्स उवओगाया तस्स दवियाया ?
एवं सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा,
उ. गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स उवयोगाया नियमं अत्थि, जस्स वि उदयोगाया तस्स वि दवियाया नियम अस्थि ।
जस्स दवियाया तस्स नाणाया भयणाए, जस्स पुण नाणाया तस्स दवियाया नियमं अत्थि ।
जस्स दवियाया तस्स दंसणाया नियमं अत्थि, जस्स वि दंसणाया तस्स दवियाया नियमं अत्थि ।
जस्स दवियाया तस्स चरित्ताया भयणाए, जस्स पुण चरिताया तस्स दवियाया नियम अत्थि ।
एवं वीरियायाए वि समं ।
प. जस्स णं भंते ! कसायाया तस्स जोगाया, जस्स जोगाया तस्स कसायाया ?
उ. गोवमा जस्स कसायाया तस्स जोगाया नियम अत्थि जस्स पुण जोगाया तस्स कसायाया सिय अस्थि, सिय नत्थि ।
एवं उपयोगायाए वि समं कसायाया य नेवव्या
कसायाया य, नाणाया व परोष्परं दो वि भइयव्वाओ।
जहा कसायाया य, उवयोगाया य तहा कसायाया य, दंसणाया व
कसायाया व चरिताया य दो वि परोपरं भइयव्वाओ।
जहा कसायाया य, जोगाया य तहा कसायाया य, वीरियाया य भाणियव्वा ।
एवं जहा कसायायाए वत्तव्वया भणिया तहा जोगायाए वि उवरिमाहिं समं भाणियव्या
जहा दवियायाए वत्तव्वया भणिया तहा उवयोगायाए वि उवरिल्लेहिं समं भाणियव्वा ।
द्रव्यानुयोग (३)
प्र. भन्ते ! जिसके द्रव्यात्मा होती है क्या उसके योग आत्मा होती है और जिसके योग आत्मा होती है क्या उसके द्रव्यात्मा होती है ?
उ. गौतम ! जिस प्रकार द्रव्यात्मा और कषायात्मा के लिए कहा उसी प्रकार द्रव्यात्मा और योग आत्मा के लिए भी कहना चाहिए।
प्र. भन्ते ! जिसके द्रव्यात्मा होती है क्या उसके उपयोगात्मा होती है और जिसके उपयोगात्मा होती है क्या उसके द्रव्यात्मा होती है?
इसी प्रकार शेष सभी आत्माओं के लिए द्रव्यात्मा से सम्बन्धित प्रश्न करने चाहिए।
उ. गौतम ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके उपयोगात्मा निश्चित होती है और जिसके उपयोगात्मा होती है उसके द्रव्यात्मा निश्चितरूप से होती है।
जिसके द्रव्यात्मा होती है उसके ज्ञानात्मा विकल्प से होती है और जिसके ज्ञानात्मा होती है उसके द्रव्यात्मा निश्चितरूप से होती है।
जिसके द्रव्यात्मा होती है उसके दर्शनात्मा निश्चित रूप से होती है तथा जिसके दर्शनात्मा होती है उसके द्रव्यात्मा भी निश्चितरूप से होती है।
जिसके द्रव्यात्मा होती है उसके चारित्रामा विकल्प से होती है, किन्तु जिसके चारित्रात्मा होती है उसके द्रव्यात्मा निश्चित होती है।
इसी प्रकार वीर्यात्मा के लिए भी समझना चाहिए।
प्र. भन्ते ! जिसके कषायात्मा होती है क्या उसके योगात्मा होती है और जिसके योगात्मा होती है क्या उसके कषायात्मा होती है?
उ. गौतम ! जिसके कषायात्मा होती है, उसके योग आत्मा होती है, किन्तु जिसके योग आत्मा होती है उसके कषायात्मा कदाचित् होती है और कदाचित् नहीं होती है।
इसी प्रकार उपयोगात्मा के साथ भी कषायात्मा का परस्पर सम्बन्ध समझ लेना चाहिए।
कषायात्मा और ज्ञानात्मा इन दोनों का परस्पर सम्बन्ध विकल्प से कहना चाहिए।
कषायात्मा और उपयोगात्मा के समान ही कषायात्मा और दर्शनात्मा के लिए भी कथन करना चाहिए।
कषायात्मा और चारित्रात्मा का परस्पर सम्बन्ध विकल्प से कहना चाहिए।
कषायात्मा और योगात्मा के समान ही कषायात्मा और वीर्यात्मा के लिए भी कथन करना चाहिए।
जिस प्रकार कषायात्मा के साथ अन्य छह आत्माओं के सम्बन्ध का कथन किया उसी प्रकार योगात्मा के साथ भी आगे की पाँच आत्माओं के सम्बन्ध का कथन करना चाहिए। जिस प्रकार द्रव्यात्मा का कथन किया उसी प्रकार आगे की चार आत्माओं के साथ उपयोगात्मा का कथन करना चाहिए।