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( द्रव्यानुयोग-(३)) ४१. गम्मा अध्ययन
४१. गम्माऽज्झयणं
सूत्र
मित्र
१. चौवीस दण्डकों के चौवीस उद्देशकों में उपपातादि बीस द्वारों
की द्वार गाथायें१. उपपात, २. परिमाण, ३. संहनन, ४. उच्चत्व, ५. संस्थान, ६. लेश्या , ७. दृष्टि, ८. ज्ञान-अज्ञान, ९.योग, १०. उपयोग, ११. संज्ञा, १२. कषाय, १३. इन्द्रिय, १४. समुद्घात, १५. वेदना, १६. वेद, १७. आयुष्य, १८. अध्यवसाय, १९. अनुबन्ध, २०. कायसंवेध। (ये बीस द्वार हैं।) प्रत्येक दंडक के जीवों का कथन करने वाला एक-एक उद्देशक है। इसलिए चौवीसवें शतक के ये चौवीस उद्देशक हैं।
१. चउवीसदंडएसु चउवीसुद्देसगेसु य उववायाइ वीस-दाराणं
दार गाहाओ१.उववाय, २.परिमाणं, ३-४.संघयणुच्चत्तमेव, ५.संठाणं, ६.लेस्सा, ७.दिट्ठि ८. नाणे-अन्नाणे, ९.जोगे, १०.उवओगे ॥१॥ ११.सण्णा, १२, कसाय, १३.इंदिय, १४. समुग्घाए, १५.वेदणा य, १६.वेदे य, १७.आउं, १८.अज्झवसाणा, १९.अणुबंधो, २०. कायसंवेहो। ॥२॥ जीव पए जीव पए जीवाणं, दंडगम्मि उद्देसो। चउवीसइमम्मि सए,चउवीसं होंति उद्देसा ॥३॥
-विया.स.२४, उ.१,गा.१-३ २. गइं पडुच्च नेरइए उववाय परूवणंप. नेरइया णं भंते! कओहिंतो उववज्जति?
किं नेरइएहिंतो उववज्जति? तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति? मणुस्सेहिंतो उववज्जति? देवेहिंतो उववज्जति? गोयमा! नो नेरइएहिंतो उववज्जति, तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति, मणुस्सेहितो वि उववज्जंति,
नो देवेहिंतो उववज्जति। प. भंते!जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं
१. एगिंदिय तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति, २. बेइंदिय तिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति, ३. तेइंदिय तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, ४. चउरिंदिय तिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति,
५. पंचिंदिय तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति? उ. गोयमा! १. नो एगिंदियतिरिक्खजोणिएहितो
उववज्जति, २. नो बेइंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति, ३. नो तेइंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उंववज्जंति, ४. नो चउरिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति,
५. पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति। प. भंते! जइ पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति,
२. गति की अपेक्षा नैरयिकों के उपपात का प्ररूपणप्र. भंते! नैरयिक जीव कहां से आकर उत्पन्न होते हैं ?
क्या वे नैरयिकों से आकर उत्पन्न होते हैं ? तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं,
देवों से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम ! वे नैरयिकों से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं,
तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, मनुष्यों से आकर भी उत्पन्न होते हैं,
देवों से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं। प्र. भंते! यदि (नैरयिक जीव) तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न
होते हैं तो क्या१. वे एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, २. द्वीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, ३. त्रीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, ४. चतुरिन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं,
५. या पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं ? उ. गौतम! १.वे एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न नहीं
होते हैं, २. द्वीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं, ३. त्रीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं, ४. चतुरिन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न नहीं होते हैं,
५. पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, प्र. भंते! यदि वे पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते
हैं तो क्यासंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं या - असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं ?
किं
सण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति? असण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति?