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जीवन -ऊर्जा क्षीण होने लगेगी। और जैसे -जैसे जीवन ऊर्जा क्षीण होगी वैसे -वैसे सपनों के भीतर छिपी सचाई प्रगट होगी। एक दिन तुम पाओगे, जहां तुमने बहुत कुछ देखा था वहां कुछ भी नहीं है। एक दिन हर आदमी पाता है कि हाथ खाली रह गये। जीवन चला गया, हाथ खाली रह गये। फिर रिक्तता बहुत सालती है। फिर रिक्तता बहुत दुख देती, बहुत पीड़ा देती| फिर रिक्तता बहुत विषाद से भर देती।
नर्क का कोई और अर्थ नहीं है। मरने के बाद तुम नर्क जाते हो ऐसा मत सोचना| या मरने के बाद स्वर्ग जाते हो ऐसा मत सोचना। जिसने जीवन को परमात्मा की स्फ्रणा से जीया वह यहीं स्वर्ग में जीता है। और जिसने जीवन को अपनी अहंकार की योजना से जीया वह यहीं नर्क में जीता है। जो यहां स्वर्ग में है वही मृत्यु के बाद भी स्वर्ग में होगा और जो यहां नर्क में है वही मृत्यु के बाद भी नर्क में होगा। क्योंकि मृत्यु के बाद उसी का सिलसिला जारी रहेगा जो मृत्यु के पहले तुमने निर्मित किया था। अन्यथा नहीं हो जायेगा। अचानक कुछ बदलाहट नहीं हो जायेगी।
जीवन को रत्ती-रत्ती जीयोगे, एक -एक सीडी चढ़ोगे तो तुम पाओगे कि शिखर उपलब्ध हुआ।'दृश्यभाव को नहीं देखते हुए शुद्ध स्फुरणवाले को कहां विधि है, कहां वैराग्य है, कहा त्याग, कहा शमन!'
शुद्धस्फुरणरूपस्य दृश्यभावमपश्यतः।
क्य विधि: क्य च वैराग्य क्य त्याग: क्य शमोउपि वा। जो व्यक्ति अपनी अंतस्फुरणा से भर गया है-स्वस्फुरणवाले को, शुद्ध स्फुरणवाले को। स्फुरण का अर्थ होता है, स्पान्टेनिटी। स्फुरण का अर्थ होता है, जो अपने आप होता है, तुम्हारे किए नहीं होता। स्फुरण का अर्थ होता है, जिसको तुम्हें करना नहीं पड़ता। अचानक तुम पाते हो कि हो रहा है। जैसे तुम यहां बैठे हो, मुझे सुनते-सुनते किसी की तारी लग जायेगी। सुनते -सुनते किसी की लय मुझसे बंध जायेगी। ऐसा नहीं कि तुमने किया। तुम करोगे तो यह कभी भी न हो पायेगा। तुम करोगे तो तुम बीच में अड़े रहोगे। तुम करोगे तो तुम अटकाते रहोगे, उपद्रव मचाते रहोगे। तुमने अगर चेष्टा की कि बंध जाये लय, फिर न बंधेगी। तुम भूलो, तुम सिर्फ सुनो सुनते-सुनते अनायास एक स्फुरणा होती है, भीतर कोई दवार खुल जाता, कोई रोशनी झाकती। भीतर कोई स्वर प्रविष्ट हो जाता। तुम मुझसे एकतान हो गये एकरस हो गये। जुड़ गये हृदय से हृदय।
उस क्षण कुछ घटता है। उस क्षण आंसू बह सकते हैं, उस क्षण तरंग उठ सकती है। उस क्षण रोमांच हो सकता। उस क्षण रो-रोआं पुलकित हो सकता। उस क्षण एक दर्शन मिल सकता है
भर को ही सही, लेकिन जैसा है उसका एक क्षण को आभास हो सकता है। जैसे कोई बिजली कौंध गई और अंधेरी रात में रोशनी हो गई और सब दिखाई पड़ गया क्षण भर को। यद्यपि क्षण भर को दिखाई पड़ेगा लेकिन पूरे जीवन का स्वाद बदल सकता है। क्योंकि जो दिखाई पड़ गया, फिर पीछा करेगा। फिर बार-बार उस दिशा में जाने का रस जागेगा, स्वाद जागेगा, आकांक्षा होगी, अभीप्सा होगी, प्रतीक्षा होगा, पुकार होगी, प्रार्थना होगी। जो एक बार अनुभव में हुआ फिर उसे छोड़ा नहीं जा