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उनका मन तृप्त हो जाएगा कि हम पागल नहीं हैं, यह आदमी पागल हो गया। और स्वभावतः वे सिद्ध कर सकते हैं, क्योंकि भीड़ उनकी है, तुम अकेले हो। तुम ज्यादा नहीं हो, वे ज्यादा हैं। और इस दुनिया में तो जो ज्यादा है, वही सच है। सचाई का और तो यहां कोई उपाय नहीं है। भीड़ जो कह दे, वही सच है। और भीड़ को सच से क्या लेना-देना है! भीड़ को ही सच पता होता तो फिर बुद्ध को, महावीर को जंगल नहीं भागना पड़ता ।
तुम जरा सोचना, बुद्ध और महावीर जंगल क्यों भागे? अधिकतर लोग सोचते हैं, जंगल की शांति के लिए भागे। गलत भीड़ के उपद्रव के कारण भागे। तुम सोचते हो, जंगल की शांति के लिए भागे, तो तुम बिलकुल गलत सोचते हो। भागे भीड़ की अशांति के कारण, उपद्रव के कारण। क्योंकि इन्हीं के बीच रहकर और बदलना, ये ज्यादा झंझटें खड़ी करेंगे। इससे जंगल बेहतर है, कोई झंझट तो नहीं डालेगा।
मैंने अपने संन्यासी को ज्यादा चुनौती का उपाय दिया है। मैं कहता हूं, जंगल मत भागों । यह बड़ी सी बात हुई, जंगल भाग गये। सहीं घटने दो घटना । सारी मुसीबतें यहीं झेलो। ये सारी चुनौतियों को यहीं स्वीकार करो।
फिर, तुम मेरे प्रेम में पड़ गये, यही संन्यास है। निश्चित तुम्हारी पत्नी इससे प्रसन्न नहीं होगी, तुम्हारे पति इससे प्रसन्न नहीं होंगे।
एक महिला मेरे पास आती है, वह कहती है कि मैं संन्यास लेना चाहती हूं, लेकिन मेरे पति कहते हैं, आत्महत्या कर लेंगे अगर उसने संन्यास लिया। आत्महत्या ! मैंने कहा, क्यों? वह कहती है कि मेरे पति कहते हैं, मैं तेरा पति हूं तो तुझे जो भी पूछना है मुझसे पूछा कौन-सी चीज है जो मैं नहीं जानता हूं? और वह पत्नी कहती है कि अब यह बडे मजे की बात है ! वह मेरी किताब नहीं रखने देते घर में, किताब फेंक देते हैं। वह कहते हैं, जो भी पूछना है.. मैं तेरा पति हूं कि कोई और तेरा पति है? तो संन्यास, तो वह कहते हैं, मैं आत्महत्या कर लूंगा, वह तो मेरा बड़ा अपमान हो जाएगा कि मेरी पत्नी और किसी और से दीक्षा ले! जैसे कि पति से दीक्षा लेने का कोई नियम हो, कोई शास्त्रीय नियम हो! लेकिन पति सब तरह की मालकियत चाहता है।
पत्नी नाराज हो जाती है। पत्नियां मेरे पास आती हैं कि जब से आप हमारे पति के जीवन में आए बड़ी खलल हो गयी। हम तो बातें कर रहे हैं, वह आपका टेप लगाये सुन रहे हैं। ऐसा जी होता है कि टेप तोड़कर फेंक दें। हम तो कुछ कहना चाहते हैं, सुख-दुख रोना चाहते हैं, वह किताब पढ़ रहे हैं! ये किताबें शत्रु मालूम पड़ने लगेंगी।
तुमने देखा होगा न, पत्नियां किताबें छीन लेती हैं- अखबार छीन लेती हैं, किताबों की तो छोड़ो। तुम अखबार पढ़ रहे हो बैठे और पत्नी आकर झपट्टा मार देती है अखबार पर। क्योंकि अखबार से भी ईर्ष्या होने लगती है कि मैं मौजूद और मेरे रहते तुम अखबार देख रहे, मुझको देखो। जरा-जरा सी, छोटी-छोटी चीजों में प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या का जन्म होने लगता है।
तो यह बड़ी घटना है, तुमने सब दाव पर लगा दिया, मेरे साथ हो लिये। निश्चित ही तुम्हारे