Book Title: Ashtavakra Mahagita Part 06
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 410
________________ कुछ थी कठिन चढ़ाई मग की कुछ रोके था तन का रिश्ता कुछ टोके था मन का नाता इसीलिए हो गयी देर कर देना माफ विवशता मेरी धरती सारी मर जाएगी अगर क्षमा निष्काम हो गयी मैंने तो सोचा था अपनी सारी उमर तुझे दे दूंगा इतनी दूर मगर थी मंजिल चलते चलते शाम हो गयी ऐसा न हो कि परमात्मा के सामने तुम्हें करुणा की भीख मांगनी पड़े। ऐसा न हो कि तुम्हें कहना पड़े कि रुक गया, क्योंकि इतने रिश्तेदार थे, रुक गया, क्योंकि पत्नी-बच्चे थे, रुक गया, क्योंकि इतनी उलझनें थीं। ऐसा न हो कि कहना पड़े कि क्षमा करो, करुणा बरसाओ। नहीं, परमात्मा के दवार पर करुणा की भीख मांगते मत जाना। आनंद-उल्लास से जाना, उत्सव | जाना। क्षमा याचना मांगते मत जाना, धन्यवाद देते जाना। और इसका एक ही उपाय है कि इस जगत में इतने जो संबंधों का नाता है, इस सब संबंधों के नाते को जो-जो कर्तव्य है पूरा करो; पत्नी है, कर्तव्य है, पूरा करो, बेटे हैं, उनका कर्तव्य पूरा करो, नाता-रिश्ता है, उनका कर्तव्य है, पूरा करो, बस कर्तव्य भर पूरा कर दो-इसमें ज्यादा उलझो मत। जितना जरूरी है उतना कर दो और बाहर रहे आओ। जरूरत से ज्यादा अपने को उद्विग्न मत कर लो। रहो बाजार में और रहो बाजार के बाहर। रहो भीड़ में और रहो भीड़ के बाहर। धीरे - धीरे तुम पाओगे, जिस भीड़ ने तुम्हारा अपमान किया, वही भीड़ तुम्हारा सम्मान करने लगी। मगर मैं इसलिए नहीं कह रहा हूं यह कि भीड़ तुम्हारा सम्मान करे ऐसी तुम्हारे मन की चाह होनी चाहिए। नहीं, तब तो चूक हो गयी। भीड़ से क्या लेना-देना, अपमान करे कि सम्मान करे, सब बराबर है। दूसरे से क्या लेना-देना! अपनी खोज पर जिसे जाना है, उसे दूसरे से थोड़ा तो शिथिल होना ही पड़ेगा। अपनी खोज पर जिसे जाना है, उसे बाहर से थोड़ी आंख तो मोड़नी ही पड़ेगी। भीतर जिसे चलना है, उसे बाहर के रास्तों की भाग-दौड़ तो क्षीण करनी ही पडेगी। क्योंकि वही ऊर्जा तो भीतर जाएगी जो बाहर दौड़ रही थी। जब मैं कहता हूं कि जो तुम्हारा अपमान करते हैं एक दिन सम्मान करेंगे, तो मैं यह सिर्फ तथ्य की बात कह रहा हूं _ ऐसा होता है। यह नहीं कह रहा हूं कि तुम इसीलिए कुछ करो ताकि लोग तुम्हारा सम्मान करो तब तो तुम कभी उस अवस्था में न पहुंचोगे जहां सम्मान सहज घटता है। जिसने तुम्हारा अपमान किया है, वह उसकी मौज है। उसे जो ठीक लगा, उसने किया। जिसने

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