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मत करो कि कल करेंगे, क्योंकि कल कौन कर पाया? न करने की यह तरकीब है कल करेंगे, कल करेंगे। कल पर टालना न करने की व्यवस्था है। जो होना है, आज हो सकता है, अभी हो सकता है, यहीं हो सकता है। तुम जैसे हो, जहां हो, वहीं वैसे ही अपने भीतर इबकी ले लो। उस इबकी में ही परमात्मा का मिलन है।
कूल बैठ नद समीप बटोर मत
शंख-सीप तुमने खूब शंख सीप बटोर लिये हैं। अब जरा बैठो।
कूल बैठ अब किनारे बैठ जाओ।
नद समीप यह जो संसार की बहती हुई धारा है, इसके किनारे बैठ रहो। बटोर मत
शंख-सीप अब बहुत बटोर लिए शंख-सीप, अब जरा किनारे बैठ रहो-कूटस्थ हो जाओ। साक्षी बनो।
योग
आत्म-संभोग।
भोग
देह-संभोग। अब थोड़ा अपना भोग करो। अब थोड़ा अपना स्वाद लो। दूसरों का स्वाद लेते खूब भटके तिक्त हुआ मुंह कड़वाहट से भर गया। अब थोड़ी रसधार बहने दो। अपने प्राणों के गीत को गूंजने दो, उठने दो यह स्वयं का छंद। थोड़ा-सा अगर तुम भीतर की तरफ चल पड़ो, एक किरण पकड़ लो होश की तो सूरज तक पहुंच जाओ।
माटी बीज उगाती परिपाटी दोहराती माटी बीज बनाती।
प्रभु का पद पा जाती। बसदो ही तरह के लोग है, दुनिया में एक परिपाटी दोहराने वाले।
माटी बीज उगाती