Book Title: Ashtavakra Mahagita Part 06
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 404
________________ लेना चाहता बदलने की। एक महिला ने मुझसे आकर पूछा कि अगर मैं ध्यान करने लगू तो मेरे और मेरे पति के बीच कोई झंझट तो नहीं होगी ? इसके पहले कि मैं कोई उत्तर दूं र उसने खुद ही कहा कि यह प्रश्न बड़ा मूढ़तापूर्ण है, क्योंकि ध्यान से क्यों कोई झंझट होगी? मैंने उससे कहा, तू गलत है, तेरा प्रश्न तो ठीक है, तेरा जो दूसरा जो तूने खुद उत्तर दे दिया है, वह गलत है। ध्यान से झंझट होगी। वह कहने लगी, कैसे? आखिर ध्यान से तो मैं और शात हो जाऊंगी, तो झंझट कैसे होगी। मैंने कहा, सवाल शात और अशांत होने का नहीं है। तेरे पति तेरे साथ बीस वर्ष से रह रहे हैं, एक ढंग से दोनों के बीच एक तरह का समझौता हो गया है – बीस साल में हो चुके सब कलह, उपद्रव, झगड़े-झांसे, क्रोध इत्यादि, एक तरह का सामंजस्य बैठ गया। एक समझौता हो गया। अब तू ध्यान करेगी, इसका मतलब हुआ कि तेरे भीतर अब परिवर्तन होंगे, इसका मतलब हुआ कि पति को फिर से अ, ब, स से शुरू करना पड़ेगा। इसका तो ठीक-ठीक मतलब यह हुआ कि जैसे पति ने फिर से दुबारा शादी की और दूसरी औरत से काम - संबंध बनाया। अब तो ये सब फिर बदलना पड़ेगा। फिर भी उसकी समझ में नहीं आया। मैंने उससे कहा, ऐसा समझ, तू एक सात दिन के लिए प्रयोग कर ले। यह झूठा ही रहेगा प्रयोग, लेकिन तुझे अकल आ जाएगी। उसने कहा, मैं क्या करूं? मैंने उससे कहा, पति नाराज हों तो तू मुस्कुराते रहना। झूठ ही होगा यह मुस्कुराना अभी, क्योंकि भीतर से वह तेरे मुस्कुराहट न आएगी, लेकिन ध्यानी को तो आती। अभी झूठ ही होगा, लेकिन प्रयोग करके देख ले। सात दिन बाद उसने कहा कि आप ठीक कहते हैं, पति तो एकदम पागल हुए जा रहे हैं। वे नाराज होते हैं, मैं मुस्कुराती हूं तो वे कहते हैं, तुझे हो क्या गया है, तेरा दिमाग ठीक है? वह कहते हैं, इससे बेहतर था कि तू कलह करती थी। तुम्हारी पत्नी जब तुम गाली दो और हंसे, तो तुम्हें ज्यादा चोट लगेगी। हां, गाली दे दे तो क्या चोट लगती है? पत्नियां गाली देती हैं। हंसे, तो उसका मतलब हुआ कि तुम बड़े छुद्र हो गये गाली दे तो तुम्हारे समतुल है। तुमने गाली दी उसने गाली दी, निपटारा हो गया, दोनों संगी-साथी हैं। हंसे, तो वह तो ऊपर बैठ गयी, कहीं आकाश में, और तुम नीचे कीड़े-मकोड़े की तरह सरकने लगे। यह बर्दाश्त के बाहर है। पति परमात्मा है और यह देखे, नहीं हो सकता! तो ध्यान, मैंने उससे कहा, अब तू सोच ले ध्यान- अभी तो यह झूठी मुस्कुराहट थी- ध्यान के बाद कोई नाराज होगा तो असली मुस्कुराहट आएगी, यह देखकर कि यह व्यर्थ की बात, यह बचकानापन! लेकिन पति यह बर्दाश्त न कर सकेंगे कि तू उनसे ज्यादा प्रौढ़ हो जाए। आज तो तू कामातुर होती है, प्रेम बढ़ेगा जरूर ध्यान के बाद, लेकिन काम कम होगा- अभी प्रेम तो बिलकुल नहीं है, काम है - सारा संतुलन टूटेगा। ध्यान के बाद प्रेम तो बढ़ेगा लेकिन काम कम होगा, और पति नाराज होंगे। क्योंकि पति तुझे पत्नी बनाए ही इसीलिए थे कि तू उनकी काम की तृप्ति करते रहना । अचानक सब संतुलन बिगड़ जाएगा। पति की कामवासना तुझे व्यर्थ मालूम होने लगेगी और उनको

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