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जैसे बिछड़े हुए दो दोस्त मिल जाते हैं। तो फिर थोड़े ही फिक्र करते अतीत की या भविष्य की। मिले हैं रूठे हुए दोस्त गर्मजोशी से
सलोनी रुत के लिए शुक्रे -कर्दगार करो तो इस अदभुत ऋतु के लिए, इस क्षण के लिए परमात्मा का धन्यवाद करो।
छोड़ो यह फिकर। बहुत बार प्रश्न आते हैं तुम्हारे कि क्या हम पहले भी साथ थे अभी साथ नहीं हो पा रहे, और पहले भी साथ थे इसकी चिंता में पड़े हो! थे भी साथ तो क्या सार? नहीं थे साथ तो क्या फर्क? अभी साथ हो लो, यह जो दो क्षण हमारे हाथ में हैं, साथ-साथ चल लो। इस क्षण एकात्म सध जाने दो।
जुनूं के मशरबे -रंगी को इख्तियार करो खिरद के जामा-ए-कोहना को तार-तार करो मत लाओ बुद्धि की इन बातों को बीच में। मस्ती ही में पाये दिल हस्ती का इर्फान ख्वाब में जैसे जाए मिल अनदेखा भगवान
जहां मस्ती है, वहां मंदिर है। और मस्ती तो सदा अभी और यहां होती है, अतीत और भविष्य में नहीं।
मस्ती ही में पाये दिल हस्ती का इर्फान और जहां तुम डूब जाते किसी मस्ती में, वहीं अस्तित्व के संदेश मिलने शुरू होते हैं। ख्वाब में जैसे जाए मिल अनदेखा भगवान और मस्ती में ही पहली दफा अनदेखा दिखायी पड़ता, अदृश्य दृश्य होता है। बस गयी मन में तेरे मस्तमिलन की खुशबू मेरे एहसास पे छाया रहा तेरा जादू झूमता फिरता रहा तेरी मधुर यादों में मुझ पे एक नशे का आलम रहा बेजामो -सुबू
अगर तुम जरा मौका दो मुझे, उतरने दो तुम्हारे हृदय में, तो बिना पीए तुम पर शराब हावी हो जाए। झूमता फिरता रहा तेरी मधुर यादों में
मुझ पे एक नशे का आलम रहा बेजामो-सुबू बिना पीए एक शराब तुम पर हावी हो जाए। बस गयी मन में तेरे मस्तमिलन की खुशबू मेरे एहसास पे छाया रहा तेरा जादू
मत सोच-विचार में पड़ो, मत सिद्धात बीच में लाओ, मेरे और तुम्हारे बीच सिद्धात न हों, शास्त्र न हों; मेरे और तुम्हारे बीच कोई धारणा, कोई तर्क न हों; मेरे और तुम्हारे बीच कुछ भी न हो, एक शून्य का सेतु बन जाए, तो छंद उठे, तो गीत जगे। और उसी मस्ती में शायद तुम्हें पहली दफे अनुभव