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मैंने सुना है कि सिकंदर अपनी यात्राओं में एक ऐसी जगह पहुंचा जहां उसे पता चला कि एक झरने के पास एक ऐसा जलधार है कि अगर उसका कोई पानी पी ले तो अमर हो जाता है। तो वह गया, उस जलधार की खोज किया। जब वह पहुंचा जलधार के पास बड़ा आनंदित हो गया। ऐसा स्फटिक स्वच्छ जल उसने कभी देखा न था। और चुल्ल भरने को ही था कि एक कौवा बैठा था वहां एक शाख पर, उसने कहा, रुक सिकंदर! पीछे पछताएगा। पहले मेरी बात सुन ले। सिकंदर बहुत हैरान हुआ एक तो यह चमत्कार कि इस पानी को पीकर आदमी अमर हो जाता है। और यह एक चमत्कार कि यह कौवा बोलता है। उसने पूछा कि क्या कहना है तुझे? कौवे ने कहा, कहना मुझे यह है कि मैंने भी यह पानी पीआ-मैं कोई छोटा-मोटा कौवा नहीं हूं जैसा तू सिकंदर है आदमियों में ऐसा मैं भी एक सिकंदर हूं कौवों में इसी की खोज मैंने सारे जीवन लगायी और मैंने यह झरना पा लिया और मैं यह पानी पी चुका। अब मैं तड़फ रहा हूं। हजारों साल से जिंदा हूं मरता नहीं। अब मर सकता नहीं। पहाड़ से गिरता हूं, पत्थर पर सिर पटकता हूं, जहर पीता हूं मरता नहीं। और अब जिंदगी में कुछ सार नहीं है-वही-वही कब तक दोहराए चला जाऊं? अब देख लिया सब। इसलिए तुझसे कहता हूं पहले सोच ले। फिर मर न सकेगा। फिर तेरी मर्जी! मैं इसीलिए यहां बैठा हूं कि अब और दूसरे कोई नासमझ यह गलती न कर लें जो मैंने की। और कहते हैं, सिकंदर थोड़ी देर सोचा और फिर चुपचाप सरक आया। उसने फिर उस झरने का पानी पीआ नहीं।
यह कहानी तो कहानी है। लेकिन बात बड़ी सच है। तुम पी सकोगे? अगर उस झरने के पास पहुंच जाओ यह बात तुम्हें खयाल में न आएगी कि फिर पीकर करोगे क्या? फिर मरना असंभव हो जाएगा।
नहीं, इस जिंदगी का सारा खेल मौत में समाया है। इस जिंदगी का सारा रस ही मौत के कारण है। और मौत जरूरी है। तुम मौत से बचो मत। तुम मौत को झुठलाओ मत, तुम अपने मन को बहला मत, तुम ' को स्वीकार करो।
आगे पीछे एक दिवस आना ही होगा तेरे दवारे इसीलिए जीवन भर मैंने नहीं गेह पर दिये किवाडे लेकर कोई कर्ज सीस तेरे गोकुल जाना न उचित था यही सोच सौ-सौ हाथों से बांटे जग को चांद-सितारे लेकिन इस संन्यासीपन का फल यह सिर्फ मिला दुनिया से