Book Title: Ashtavakra Mahagita Part 06
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 369
________________ पर कोई दस फीट दूरी पर, कोई दस मील दूरी पर और कोई दस प्रकाश-वर्ष दूरी पर। ये सिर्फ दूरियां ही हैं सब। जो चार फीट पास बैठा है, वह भी तो चार फीट दूर बैठा है। चाहे चार फीट पास कहो, चाहे चार फीट दूर कहो, क्या फर्क पड़ता है, दोनों में एक ही मतलब है। हर पास में दूरी छिपी है। हर दूरी में पास छिपा है। भाषा में बड़ी कठिनाई है। भाषा तो सापेक्ष है। तुम कहते हो, पानी ठंडा। या कहते हो, पानी गर्म। कहते वक्त ऐसा लगता है कि तुम कोई बड़े बहुमूल्य तथ्य कह रहे हो यह तथ्य नहीं है। क्योंकि किस पानी को तुम ठंडा कहते हो? किस पानी को तुम गर्म कहते हो? मैं एक यात्री का जीवन पढ़ रहा था। वह साइबेरिया की यात्रा को गया था। और ऐसा हुआ कि रास्ता भटक गया। चारों तरफ सफेद ही सफेद बर्फ। और रास्ता भूल गया। और जिस डेरे पर लौटना था उस पर न लौट सका। और सांझ हो गयी और रात होने लगी और भयंकर सर्दी। खून जमने लगा। वह घबड़ाया। बच न सकेगा अगर यह रात नहीं पहुंच पाया डेरे पर। भाग-दौड़ की, यहां भागा, वहा भागा। एक दूसरे किसी गांव में पहुंच गया, जहां दो -चार-छ: ईगलू थे -साइबेरियन एस्किमो के मकान। वह तो बर्फ के ही बने होते हैं। बर्फ को ही जमाकर ईगलू बना लेते हैं। वह कंप रहा है। और वह डर रहा है कि मौत पक्की। मगर यह ईगलू मिल गया तो चलो ठीक, कुछ सहारा मिल जाएगा। वह भीतर पहुंचा, ईगलू के मालिक ने कहा कि घबड़ाओ मत, बैठो, विश्राम करो। लेकिन वह ईगलू का मालिक बिलकुल उघाड़ा बैठा है! उसको कोई सर्दी-वर्दी का पता नहीं है। और ये कंपा जा रहा है और दांत खटखटा रहे हैं और बोल भी नहीं सकता ठीक से। जब ईगलू का मालिक सोने जाने लगा तो उसने एक पतला-सा कंबल इसको लाकर दिया कि शायद रात थोडी सर्दी पड़े, तो तुम ओढ़ लेना। शायद! रात में अगर सर्दी पड़े! कभी-कभी रात सर्द हो जाती है। तो क्या सर्दी है और क्या गर्मी है? सापेक्ष है। जो चीज तम्हें गर्म मालम पडती है, किसी को सर्द मालूम पड़ सकती है। किसी को सर्द मालूम पड़ती है, तुम्हें गर्म मालूम पड़ती है। और कभी-कभी तो ऐसा हो सकता है कि तुम एक बाल्टी में पानी भर कर रख लो, एक हाथ को बर्फ की शिला पर रख लो, एक हाथ को स्टोव पर गरम करते रहो और फिर दोनों हाथों को उस पानी की बाल्टी में इबा दो, एक हाथ कहेगा पानी गर्म है और एक हाथ कहेगा पानी ठंडा है। तुम्हें दोनों अनुभव एक साथ होंगे कि पानी ठंडा, पानी गरम। सापेक्ष है। जो हाथ तुमने बर्फ पर रखा है, वह हाथ कहेगा, पानी गर्म। क्योंकि पानी उस हाथ से ज्यादा गर्म है। जो हाथ तुमने स्टोव पर गरमा लिया है, वह हाथ कहेगा, पानी बहुत ठंडा| क्योंकि पानी उस हाथ से ठंडा है। तुम्हारे दोनों हाथ पानी बिलकुल एक ही है, सामने एक ही बाल्टी में भरा है। क्या पास है, क्या दूर है! शब्द का उपयोग ध्यानपूर्वक करना। इसलिए सारे धर्मशास्त्र और सारे धर्मशास्ताओं ने शब्द का विपरीत उपयोग किया है-एक ही साथ विपरीत-सिर्फ इतना बताने को कि तुम ध्यान रखना, शब्द के दवंदव में न उलझ जाना। इसलिए हम दोनों को लड़ा देते हैं। दोनों को लड़ाकर दोनों मर जाते

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