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धुंआ वहा- वहां आग। जहां जहां काम वहां - वहा राम ।
तुम्हारे जीवन में बड़ा धुंआ है, माना। लेकिन इसी धुएं में कहीं आग छिपी पडी है। इस धुएं को इशारा समझो। इस धुएं को इंगित समझो। इस धुएं का सहारा पकड़कर आग को खोज लो। इसलिए मैं साक्षी की बात करता हूं और प्रेम की। मैं दोनों की साथ - साथ बात करता हूं। तुम्हें दोनों ही बातों के प्रति सजग रहना है - साक्षी को जगाना है और प्रेम को बचाना है। अगर प्रेम को खोकर साक्षी बचा लिया तो तुम रूखे - सूखे मुर्दा हो जाओगे। तुम्हारी शांति मरघट की होगी, जीवंत न होगी। और तुम्हारा जीवन का सत्य बड़ा मुर्दा, सूखा - साखा होगा । उसमें रसधार न बहेगी। तुम्हारा जीवन का सत्य मरुस्थल जैसा होगा । उसमें कोई फूल न खिलेंगे। तुम्हारी वीणा टूट जाएगी। भला तुम शात हो जाओ, लेकिन तुम्हारी शांति में कोई संगीत का अवतरण न होगा। यह पाना न हुआ, चूकना हो गया। संसार में चूके, अब संन्यास में चूके। तुम चूकते ही रहे।
इसलिए मैं कहता हूं, तुम दोनों को संभाल लेना । प्रेम को खोना मत और साक्षी को संभालना । साक्षी और प्रेम साथ - साथ संतुलित होते चले जाएं तो तुम्हारे जीवन में समाधि फलेगी और ऐसी समाधि जो मरुस्थल की न होगी, जिसमें हजारों कमल खिलेंगे। ऐसी शांति जो मरघट की न होगी, जीवंत, पुलकित, आनंदित । एक ऐसा शून्य जो पूर्ण से भरा होगा ।
फिर चाहे तुम साक्षी के मार्ग से चलो-साक्षी का मार्ग यानी ध्यानी का मार्ग, प्रेम का मार्ग यानी भक्ति का मार्ग-चाहे तुम किसी भी मार्ग से चलो, दूसरे को बिलकुल छोड़ मत देना, भूल मत जाना। प्रेम के मार्ग पर साक्षी को छाया की तरह मौजूद रहने देना। ध्यान के मार्ग पर प्रेम को छाया की तरह मौजूद रहने देना ।
मसलक जो अलग अलग नजर आते हैं यह देखकर राहगीर घबराते हैं।
रास्ते का फकत फेर है राहरौ आखिर
मंजिल पे पहुंचते हैं तो मिल जाते हैं
रास्ते के ही फर्क हैं। जब यात्री मंजिल पर पहुंचते हैं तो सब रास्ते मिल जाते हैं।
रास्ते का फकत फेर है राहरौ आखिर
मंजिल पे पहुंचते हैं तो मिल जाते हैं
मसलक जो अलग- अलग नजर आते हैं यह देखकर राहगीर घबराते हैं
तुम घबड़ाओ मत। अब तक ऐसा ही हुआ है। जिन्होंने भक्ति की बात की, उन्होंने ध्यान की बात न की । वे डरे कि कहीं ध्यान के कारण भक्ति में बाधा न पड़ जाए। जिन्होंने ध्यान की बात की उन्होंने भक्ति की बात न की, वे डरे कि कहीं भक्ति के कारण ध्यान में बाधा न पड़ जाए। मैं तुमसे जो कह रहा हूं इससे ज्यादा साहसपूर्ण वक्तव्य पहले नहीं दियागया है। सभी वक्तव्य अधूरे थे। मैं तुम्हें पूरी-पूरी बात कह रहा हूं। निश्चित पूरी बात कहने का मतलब होता है, दोनों विरोधी