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मत मान लेना। साधारणतः लोगों को यही खयाल है कि जिस बात को जान लिया, उसमें रहस्य समाप्त हो जाता है। विज्ञान की यही धारणा है कि जिस बात को जान लिया, उसमें फिर कोई रहस्य नहीं। विज्ञान रहस्यघातक है। और बड़ा खतरनाक है। विज्ञान के कारण ही संसार से आश्चर्य
भाव खो गया है। लोग किसी चीज से आश्चर्यचकित नहीं हैं।
जर्मन कवि गेटे ने लिखा है कि यहां एक-एक चीज आश्चर्यजनक है, पर हम न मालूम कैसे जड़ हैं कि हमें किसी बात में कोई आश्चर्य नहीं मालूम होता !
एक अंकुर फूटता है बीज से, तुम इससे बड़ा और आश्चर्य खोज सकोगे? एक वृक्ष पर पल्लव आता, नयी पत्ती फूटती, तुम इससे बड़ा कोई आश्चर्य खोज सकोगे? किसी स्त्री के गर्भ में एक नये बच्चे का आविर्भाव होता है, तुम उससे बड़ा और आश्चर्य खोज सकोगे?
तुम जरा सोचो, रोज रात आकाश तारों से भर जाता, अगर ऐसा एक हजार साल में एक ही बार होता होता, तो लोग नाचते उस रात कोई सोता नहीं। एक हजार साल में अगर एक बार ऐसा होता कि रात तारों से भर जाती, तो सारी पृथ्वी जागी रहती - लोग नाचते, उत्सव मनाते, धूमधाम करते, गीत गाते और चकित होते लोग कि कैसा अदभुता और रात रोज तारों से भरती है, कोई नहीं नाचता। रोज के कारण, परिचित होने के कारण तुम आश्चर्य को अनुभव नहीं करते हो। तुम अगर गौर से देखोगे तो जीवन सब तरफ आश्चर्य ही आश्चर्य है, रहस्य ही रहस्य है। लेकिन विज्ञान बड़ा रहस्यघाती है। वह रहस्य का दुश्मन है। और विज्ञान ने लोगों के जीवन को बड़े दुख से भर दिया है। क्योंकि जहां 'रहस्य समाप्त हो गया, वहां जीवन का काव्य नष्ट हो जाता है। जहां जीवन का काव्य नष्ट हुआ, वहां जीवन का धर्म नष्ट हो जाता है। जहां जीवन से धर्म नष्ट हुआ, वहां जीवन कुछ अर्थ नहीं बचता। एक व्यर्थ कथा, किसी मूर्ख के द्वारा कही हुई। शोरगुल बहुत अर्थ कुछ भी नहीं। रहस्य ही प्रभु का पदचाप है। यहां जो मैं कह रहा हूं, यह कोई रहस्य को नष्ट करने के लिए नहीं। यहां तो जो कहा जा रहा है उससे तुम रहस्य के प्रति जागो, खूब जागो। जागते ही चले जाओ और रहस्य बड़ा होता चला जाए। यही धर्म और विज्ञान का फर्क है।
धर्म का जानना ऐसा जानना है जिससे रहस्य समाप्त नहीं होता, और रहस्यपूर्ण, और रसमय हो जाता है। तुम्हारा अहोभाव बढता जाता है। विज्ञान रहस्य को नष्ट कर देता है, धर्म रहस्य पर पड़ी हुई धूल को झाड़ता है और रहस्य को पुन: - पुन: ताजा करता है।
तो यह जो यहां कह रहा हूं तुमसे रहस्य बढ़ाने को । तुम्हें रहस्यवादी बनाने को। तुम्हें है रहस्य के जगत में डूबे हुए अपूर्व जना जिनका रोआं-रोआं रहस्य से भरा है, रोमांचित है।
बात इतनी सी कहानी हो गयी
एक चूनर और धानी हो गयी गंध ले जाती बिना मांगे हवा देह जब से रातरानी हो गयी
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