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उम्र अचानक हीर हो गयी निर्धन नजर अमीर हो गयी एक दस्तूर किया तुमने प्यार मशहूर किया तुमने काच का रूप तराश दिया एक कोहनूर किया तुमने सेहरा को सागर सूखी नदी को पूर किया तुमने पिलाकर प्राणों को मदिरा नशे में चूर किया तुमने बात इतनी सी कहानी हो गयी एक चूनर और धानी हो गयी यहां तो काम जो है, वह रंगरेज का है। यहां तो चूनर गनी है और धानी। यहां तो काम मधु
पिलाने का है, यह तो मधुशाला है। आश्रम शब्द से तुम धोखे में मत पड़ना। यह शब्द तो सिर्फ लोगों को धोखा देने के लिए है। यहां तो एक मधुशाला है।
पिला कर प्राणों को मदिरा नशे में चूर किया तुमने बात इतनी सी कहानी हो गयी एक चूनर और धानी हो गयी
रंगना है तुम्हारी चूनर को रहस्य के अनंत- अनंत रंगों में। रंगना है तुम्हारे प्राणों को रस के नये -नये आयामों में। नयी-नयी भाव-भंगिमाएं तुममें उदित हों। नये -नये मंदिरों के शिखर तुममें उठे। नये गीतों का जन्म हो। नये नृत्य तुम नाचो। नयी वीणाएं तुम बजाओ, नितनूतन| तुम खोजो, और जितना खोजो, उतना ही पाओ कि और खोजने को हो गया मौजूद। जितना खोजो, उतना खोज बढ़ती जाए। खोज कभी अंत पर न आए। यात्रा सिखाता हूं मैं मंजिल तो बहाने हैं। मंजिल की बात करता हूं ताकि तुम दौड़ो ताकि तुम चलो। मजा तो यात्रा का ही है, यात्रा ही मंजिल है।
बात इतनी सी कहानी हो गयी एक चूनर और धानी हो गयी गंध ले जाती बिना मांगे हवा देह जब से रातरानी हो गयी
तुम्हारे जीवन में खिले फूल, तुम्हारा अंतर्कमल खिले। यह कमल तुम्हें ज्ञानी नहीं बना जाएगा, यह कमल तुम्हें परम अज्ञानी बना जाएगा, तुम निर्दोष बालक की भांति हो जाओगे। छोटे बच्चे की भांति, जो सागर के तट पर शंख बीनता, सीप बीनता, रंगीन पत्थर बीनता और हर रंगीन पत्थर को