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सिगरेट की बिक्री बंद हो जाएगी। तीन-चार सप्ताह बिक्री कम भी हुई। फिर बिक्री वैसी की वैसी हो गयी। अब लोग उससे भी आदी हो गये। ठीक है। तुम बिलकुल लिख दो कि सिगरेट से मरना भी हो जाएगा तो भी कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। बल्कि शायद कई लोग जो कि मरने को उत्सुक हों और ज्यादा पीने लगें कि चलो ठीक है। जीने में रस ही किसको है! जीने में मिल क्या रहा है! जीने में ऐसा कौन-सा उत्सव घट रहा है कि तुम मरने से किसी को इरा सको!
मुल्ला नसरुद्दीन शराब पीता है। एक डाक्टर ने उससे कहा कि अब तुम बंद कर दो बड़े मियां, अन्यथा मरोगे! तो उसने कहा कि आप मुझे पक्का कह सकते हैं कि अगर मैं शराब पीना बंद कर दूं तो कभी न मरूंगा? यह तो हम भी नहीं कह सकते! तो उसने कहा, जब शराब पीने वाले भी मरते हैं, न पीने वाले भी मरते हैं, तो फर्क क्या है? और फिर मैं तुमसे एक बात कहता हूं कि मैंने ज्यादा के शराबी देखे हैं बजाय के डाक्टरों के। यह बात भी सच है। तुम जाकर खोज कर लो। तुम्हे के डाक्टर शायद ही मिलें कि सौ साल के डाक्टर। सौ साल का शराबी मिल सकता है। तो नसरुद्दीन ने कहा फिर ऐसे जब मरना ही है, तो पी-पीकर मरेंगे, फिर सार क्या है, जब सभी मर जाएंगे, अच्छे और
बुरे भी।
नहीं, यह बातों से कोई छोड़ता नहीं। आदतें ऐसे नहीं बदलतीं। ये सब झूठी बातें हैं। तुम तो आदत को देखो। दुनिया की मत सुनो कौन क्या कहता है, आदत को ही देखो। आदत में ही उतरकर देखो कि मैं क्यों पी रहा हूं? अगर तुम कोई भी कारण न पाओगे तो तुम्हें अपनी मूढ़ता दिखायी पड़नी शुरू हो जाएगी।
एक युवक सिगरेट पीता है। उसने मुझसे पूछा। तो मैंने कहा, तू ऐसा ध्यान कर। और मुझे आकर बता कि तू इस सारे ध्यान के बाद क्या नतीजा लेता है, यह क्यों तेरे भीतर है? उसने बहुत-कोई पांच-छ: सप्ताह-जैसा मैंने कहा, वैसा ही किया, फिर तो वह घबड़ाने भी लगा। क्योंकि यह तो बिलकुल पागलपन है! तुम बिना जाने किये जाते हो, बिना ध्यान किये जाते हो, सब चलता है! लेकिन जब तुम होशपूर्वक करते हो ९.|
तो उसने मुझे कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि यह आदत मेरी बचपन से पड़ गयी क्योंकि मैं अंगूठा पीता था। और देर तक अंगूठा पीता रहा और जबरदस्ती करके मुझसे अंगूठा छुड़वाया गया
और कुछ-न-कुछ मुझे मुंह में डालना चाहिए, वह अंगूठे की ही मुझे याद आती है बार-बार जब मैं ध्यान करता हूं। आप कहते हैं ध्यान करो, तो मैं कर रहा हूं आईना रखकर, मुझे यह बात खयाल में आनी शुरू हुई, अचेतन से यह बात मेरे उठी कि अंगूठा पीने की वजह से।
तो मैंने कहा बस, अब तुझे सूत्र मिल गया अब तू आज से अंगूठा पी। उसने कहा, आप क्या कहते हैं, लोग क्या कहेंगे! लोगों की फिकिर छोड़। लोगों के कहने से लेना-देना क्या है! निर्णय तेरे और परमात्मा के बीच होना है, लोगों और तेरे बीच नहीं। उसने कहा, क्या उससे सिगरेट छूट जाएगी? मैंने कहा, मैं कुछ कहता नहीं, पहले तू अंगूठा पीना शुरू कर।
लेकिन उसने एक सप्ताह अंगूठा पीआ और सिगरेट छूट गयी। अब उसने कहा, राह एक और