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जड़ी-बूटी मिलती नहीं, पहाड़ बड़ा है। और वे तय नहीं कर पाते तो पूरा पहाड़ ले आते हैं। रामलीला हो रही है-तो एक रस्सी में बांध कर पहाड़ लिए हुए हनुमान आते हैं बीच में कहीं घिरीं अटक गई, तो वे लटके हैं। अब वह घिरीं चलाने वाला छिपा बैठा है, वह बड़ी मुश्किल में है कि अब क्या करें। कुछ तो करना ही पड़ेगा, क्योंकि ये कब तक लटके रहेंगे ! इनको उतारना जरूरी है। कुछ सूझा नहीं उसे, तो उसने रस्सी काट दी। तो हनुमान मय पहाड़ के धड़ाम से नीचे गिरे। रामचंद्रजी ने पूछा- जैसे पूछना चाहिए था, जैसा कहा गया था कि हनुमान, जड़ी-बूटी ले आए? हनुमान ने कहा : ऐसी की तैसी जड़ी-बूटी की! पहले यह बताओ रस्सी किसने काटी ?
भूल गया जो पाठ सिखाया था खुद बीच में आ गए।
जीवन जैसा प्रभु ने दिया है उसे तुम वैसे ही स्वीकार कर लेना। तुम अपने को बीच में मत लाना। तुम चुपचाप अंगीकार कर लेना। इस अंगीकार - भाव को ही मैं आस्तिकता कहता हूं। ऐसे धीरे - धीरे समर्पण करते करते एक ऐसी घड़ी आती है जब तुम्हारे बीच और परमात्मा के बीच कोई फासला नहीं रह जाता। क्योंकि जो वह करवाता है वही तुम करते हो, अन्यथा नहीं। तुम्हारी कोई शिकायत नहीं है। तुम्हारी कोई मांग नहीं है। तुम न उससे कहते हो, तुमने गलत करवाया; न तुम उससे कहते हो, भविष्य में सुधार कर लेना। तुम्हारा स्वीकार परिपूर्ण है। तुम्हारी तथाता पूरी-पूरी है। इसी घड़ी में मिलन हो जाता है। इसी घड़ी में तुम मिट जाते हो, परमात्मा हो जाता है।
तुम मिटो ताकि परमात्मा हो सके। लेकिन इस मिटने को भी गीत गा कर और हंस कर पूरा करना है । उदास उदास मत जाना, अन्यथा शिकायत रहेगी। गीत गुनगुनाते जाना।
और मैं तुमसे कहता हूं : जिन्होंने भी प्रभु को कभी जाना है उन सभी ने यह बात भी जानी कि जो भी हुआ इसके पहले वह सब जरूरी था उसके बिना पहुंचना नहीं हो सकता था| जो दुख झेले, वे भी जरूरी थे। जो सुख झेले, वे भी जरूरी थे। मित्र मिले, वे भी जरूरी थे। शत्रु मिले, वे भी जरूरी थे। अकारण कुछ भी कभी नहीं होता है। इस परम भाव को मैं संन्यास कहता हूं। यही तुम्हारा मंत्र है।
दूसरा प्रश्न :
जो निश्चयपूर्वक जानते हैं उनमें से कोई दैव को, कोई पुरुषार्थ को और कोई दोनों को प्रबल बताते हैं। ऐसा क्यों है? उनमें भी मतैक्य क्यों नहीं है?
जो जानते हैं, वे वही नहीं कहते-जो जानते हैं। क्योंकि जो जाना जाता है जीवन की
आत्यंतिक गहराई में उसे तो सतह पर ला कर शब्द नहीं दिये जा सकते। जो जाना जाता है वह तो