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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १८४ द्रव्यप्रमाणनिरूपणम् इत्यादि। इदं सर्व स्थापनानाम बोध्यम्। एतदुपसंहरन्नाह-तदेतत्स्थापना प्रमाणमिति ॥पू०१८३॥
मूलम्-से किं तं दवप्पमाणे? व्वप्पमाणे-छविहे पण्णत्ते, तं जहा-धम्मत्थिकाए जावअद्धासमए।सेतंदवप्पमाणे॥सू.१८४॥
छाया-अथ किं तद् द्रव्यप्रमाणम् ? द्रव्यप्रमाणं षड्विधं प्रज्ञप्तम् , तद्यथाधर्मास्तिकायो यावत् अद्धासमयः। तदेतत् द्रव्यप्रमाणम् ॥मू०१८४॥
टीका-'से किं तं' इत्यादि..... अथ किं तद् द्रव्यप्रमाणं द्रव्यममाणं हि धर्मास्तिकायाधर्मास्तिकायादि यावददासमयान्तं षविधमित्युत्तरम् । धर्मास्तिकायाधर्मास्तिकायादीनि पविषयाणि नामानि द्रव्यपमाणेन निष्पन्नानि, अतो धर्मास्तिकायादीनि द्रव्याणि विहाय अभिप्रायिक नाम कहलाता है। जैसे (अंपए, निंबए, बकुलए, पलासए, सिणए, पिलूए, करीरए) अंधक, नियक, बकुलक, पलाशक, स्नेहक, पीलुक, करीरक। (से तं अभिप्पाइयनामे) इस प्रकार यह अभिमायिक नाम है (से तं ठवणप्पमाणे) यह स्थापना प्रमाण है।सू० १८३ ॥
"से कि तं दव्यापमाणे" इत्यादि। · उत्तर-(से कि तं दव्यप्पमाणे) हेभदन्त ! वह द्रव्य प्रमाण क्या है। अर्थात् द्रव्यप्रमाण से जो नाम निष्पन्न होता है, वह कितने प्रकार का है ?
उत्तर-(व्यापमाणे छबिहे पण्णत्ते) द्रव्यप्रमाण छह प्रकार का प्रज्ञाप्त हुआ है-(तं जहा) वह इस प्रकार से है-(धम्मत्थिकाए.. जाव अद्धासमए-से तं दध्वप्पमाणे) धर्मास्तिकाय यावत् अद्धासमय-यह नाम उपाय छ. २.-अंबए, निबए, बकुलए, पलासए, सिणए, पिलुए करीरए) 448, निx, iges, vers, स्ने, पा, श२४, (सेत आभिप्पाइंय नामे) प्रारे मा मालिप्रायि नाम छे. (से कि त ठवणप्पमाणे) मा स्थापना प्रभार छे. ।.सू०१८॥
"से कि तं दव्वप्पमाणे प्रत्याहि
शहाथ:-(से कि त दव्वप्पमाणे) BRa! भा द्र०यमा छ? એટલે કે દ્રવ્યપ્રમાણથી જે નામ નિષ્પન્ન થાય છે તે કેટલા પ્રકારનાં છે ?
उत्तर-(दव्बप्पमाणे छव्विहे पण्णत्ते) द्र०यप्रभा छ रन प्रशस थत छे. (जहा) मा प्रमाणे छ. (धम्मस्थिकाप जाव भद्धासमए-खे।