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आगम-सम्पादन का प्रारंभिक इतिहास पूरे पांच महीने का समय सामने था। आचार्यश्री के साथ रहने वाले प्रायः साधु-साध्वियां इसमें जुट गए और चतुर्मास के पूर्ण होते-होते लगभग बत्तीस आगमों के शब्द अनुक्रम से संकलित हो गए।
इस शब्द-संकलना में कई साधु-साध्वियां निर्देशक और निर्देशिका के रूप में कार्य करते थे और शेष उनके सहयोगी के रूप में। उनकी तालिका इस प्रकार हैसाधुओं द्वारा किया गया कार्य
१. स्थानांग, उत्तराध्ययन निर्देशक स्वर्गीय मुनिश्री चौथमलजी (जावद)।
सहयोगी-मुनिश्री सोहनलालजी (श्रीडूंगरगढ़), मुनि सुमेरमलजी 'सुमन', मुनिश्री रूपचन्द्रजी (गणबहिष्कृत), मुनिश्री मणिलालजी।
कार्यारम्भ-सं. २०१२, प्रथम भाद्रपद शुक्ला १३ । सम्पूर्ति-सं. २०१२, कार्तिक अमावस्या। २. प्रज्ञापना निर्देशक-मुनिश्री सोहनलालजी (चूरू)।
सहयोगी-मुनिश्री छत्रमलजी, मुनिश्री हनुमानमलजी (सरदारशहर), मुनिश्री नगराजजी (चूरू)।
सम्पूर्ति–मार्गशीर्ष सरदारशहर में।
सम्पूर्ण शब्दानुक्रम की साफ प्रतिलिपि मुनिश्री मानमलजी (श्रीडूंगरगढ़) तथा मुनिश्री चम्पालालजी (सरदारशहर) ने की।
३. भगवती, दशाश्रुतस्कन्ध, नन्दी निर्देशक-मुनिश्री दुलीचंदजी 'दिनकर' ।
सहयोगी-मुनिश्री हंसराजजी, मुनिश्री श्रीचंद्रजी 'कमल', मुनिश्री गुलाबचंदजी 'निर्मोही'।
कार्यारम्भ-सं. २०१२, श्रावण शुक्ला ४। सम्पूर्ति कार्तिक शुक्ला १२ ।