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उत्तराध्ययन और परीषह
१३७ ठाणं सूत्र में दस राजधानियों के नाम गिनाये हैं। उनमें हस्तिनापुर भी एक है।' विदेह' ___इसकी पहचान वर्तमान के 'तिरहुत' प्रदेश से की जाती है। इसके पूर्व में कोशी नदी, पश्चिम में गण्डक, उत्तर में हिमालय और दक्षिण में गंगा नदी बहती थी। यह वैशाली के उत्तर में था। इसकी राजधानी 'मिथिला' थी। बौद्ध-ग्रन्थों के अनुसार वैशाली विदेह की राजधानी थी। वैशाली लिच्छवियों का केन्द्र था। राजा चेटक वैशाली का था। भगवान् महावीर की माता त्रिशला राजा चेटक की बहिन थी। इसीलिए भगवान् महावीर को स्थान-स्थान पर 'वैशालीय' कहा गया है। भगवान् महावीर ने यहां बारह चतुर्मास किए थे। यह मध्यप्रदेश का प्रधान नगर था। इसका दूसरा नाम 'वाणियगाम' था।
३१. उत्तराध्ययन और परीषह उत्तराध्ययन सूत्र के दूसरे अध्ययन में मुनि के परीषहों का निरूपण है। कर्मप्रवाद पूर्व के १७वें प्राभृत में परीषहों का वय और उदाहरण सहित निरूपण है। वही यहां उद्धृत किया गया है। यह नियुक्तिकार का अभिमत है।' दशवैकालिक सूत्र के सभी अध्ययन जिस प्रकार पूर्वो से उद्धृत हैं उसी प्रकार उत्तराध्ययन का यह अध्ययन पूर्व से उद्धृत है।
__ जो सहा जाता है उसका नाम है 'परीषह'। सहने के दो प्रयोजन हैं मार्गाच्यवन और निर्जरा। स्वीकृत मार्ग से च्युत न होने के लिए कुछ सहा जाता है और कुछ सहा जाता है निर्जरा के लिए। १. चम्पा, मथुरा, वाराणसी, श्रावस्ती, साकेत, हस्तिनापुर, कांपिल्य, मिथिला,
कौशाम्बी और राजगृह। (१०।२७)। २. उत्तराध्ययन, १८७५। ३. देखें-मिथिला। ४. उत्तराध्ययननियुक्ति गाथा ७०।
कम्मप्पवायपुव्वे सत्तरसे पाहुडम्मि जं सुत्तं ।
सणयं सउदाहरण तं चेव इहं पि णातव्वं ।। ५. मार्गाच्यवननिर्जरार्थं परिषोढव्याः परीषहाः-तत्त्वार्थसूत्र ९।८।