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आगम-सम्पादन की यात्रा आज जैनों में अनेक सम्प्रदाय, उप-सम्प्रदाय हैं। वे महावीर के दर्शन को अपने रंगों से रंगकर उपस्थित करते हैं। सर्वत्र यही होता है। श्लाघा के रंग से रंगे हुए महावीर या उनका दर्शन तद्तद् सम्प्रदाय को पूर्ण सत्य लगता है। इससे मूल को पकड़ा नहीं जा सकता। मूल को जाने बिना वक्तव्यता का कोई प्रामाणिक आधार नहीं रहता। ____ आज अन्वेषण का युग है, प्रत्येक क्षेत्र में अन्वेषण हो रहे हैं। प्राचीन सूत्रों के आधार पर नए-नए तथ्य प्रकट हो रहे हैं। व्यक्ति का बुद्धिवाद बढ़ रहा है। अणु-अणु की छानबीन हो रही है। जो जीव-विज्ञान कुछ वर्षों पूर्व धुंधला-सा था आज वह आलोक की ओर बढ़ रहा है। सूक्ष्मातिसूक्ष्म छानबीन हो रही हैं। इन अन्वेषणों के निष्कर्षों को हम एकान्ततः अन्यथा नहीं कह सकते। वे पूर्ण सत्य न भी हों, परन्तु उस दिशा में की गई प्रगति के प्रतीक हैं, ऐसा हमें मानना होगा। सत्य अनन्त है, उसे अनन्तकाल तक पढ़ा जाए, फिर भी वह पूर्ण नहीं होता। पूर्ण होने का अर्थ है शान्त होना। सत्य की उपलब्धियां सर्वसाधारण के लिए उतनी ही सत्य हैं जितनी कि सर्वज्ञ के लिए पूर्ण सत्य का दर्शन । आज अनुश्रुति का युग नहीं रहा। सुनी-सुनाई बातों को प्रयोग की कसौटी पर कसा जाता है और जब वे सही उतरती हैं तभी स्वीकार की जाती हैं, अन्यथा स्वीकार करने के लिए बुद्धि तत्पर नहीं होती। प्रत्येक पदार्थ को हेतुगम्य मानना यह बुद्धि की अल्पता है। परन्तु हेतुगम्य पदार्थ को हेतुगम्य मानकर आग्रह किए रहना भी बुद्धिमत्ता नहीं कही जा सकती। अतः हेतुगम्य पदार्थों को हेतुओं के द्वारा समझने का प्रयत्न करें, काल की लम्बाई पर ध्यान दें। साथ-साथ अहेतुगम्य पदार्थों को हेतुओं के द्वारा जानने का दुराग्रह भी न करें।
जैन लोगों की यह धारणा है कि विक्रम संवत् का प्रवर्तन विक्रमादित्य ने ई. पू. ५७ में किया था। कई शताब्दियों से यही धारणा प्रचलित है। आज तक भी हमने इसकी प्रामाणिकता या अप्रामाणिकता पर ध्यान नहीं दिया।
आज इतिहास स्पष्ट है। इस विषय में अनेक अन्वेषण हुए हैं और भारतीय तथा पाश्चात्य विद्वानों ने इस पर प्रकाश डाला है। तथ्यों के अनुशीलन से हमें इसी निष्कर्ष पर पहुंचना पड़ता है कि हमारी अनुश्रुति एकान्ततः सत्य नहीं है। इस तथ्य की पूर्ण समालोचना करना इस निबन्ध का ध्येय नहीं है, फिर भी कुछेक तथ्य उपस्थित कर मैं बताना चाहता हूं कि किस प्रकार कुछ धारणाएं इतिहास के ज्ञान के अभाव में जड़ बन जाती हैं।